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राज्य सरकार ने शिक्षक दिवस को शिक्षक ‘विवश’ दिवस बनाया

जयपुर। भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि 5 सितंबर को डॉ एस राधाकृष्णन का जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है। शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। परंतु इस बार शिक्षकों को लाभार्थी मानते हुए शिक्षक दिवस पर दिसंबर 13 के बाद नियुक्त शिक्षकों को अमरूदों के बाग में आने के लिए विवश किया जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि इस साल सरकार 62 शिक्षकों के स्थान पर 31 शिक्षकों को ही शिक्षक दिवस पर सम्मान के योग्य माना है। तिवाड़ी ने कहा कि इस तरह से सरकार ने शिक्षक दिवस को शिक्षक विवश दिवस बना दिया है।

पूर्व शिक्षा मंत्री ने कठोर शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह शिक्षक दिवस के उपर शिक्षकों का अपमान है। वे रविवार को मातृ मंदिर श्याम नगर में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।

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सम्मेलन में नहीं आने पर वेतन कटौती के आदेश

घनश्याम तिवाड़ी ने आंकड़ों के साथ कहा कि इस कार्य में 44 करोड़ रूपए के राजकोष की बर्बादी है तथा इस दौरान विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य भी नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि आरटीई 2010 एक्ट के अंतर्गत शिक्षकों को जनगणना, चुनाव व आपदा प्रबंधन को छोड़कर दूसरे अशैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता। सम्मेलन में भाग लेने हेतु शिक्षकों को पाबंद किया गया है तथा नहीं आने की स्थिति में वेतन कटौती के आदेश किए गए है। यही नहीं काले कपड़े, जूते, जुराब आदि पहन कर आने पर भी पाबंदी लगाई है।

शिक्षा में राजनीति की नहीं राजनीति में शिक्षा की आवश्यकता

तिवाड़ी ने कहा कि झूठी शान बघारने और राजनीतिक प्रचार करने के लिए निकम्मी और निर्लज्ज सरकार का ये सभा घोटाला नंबर तीन है। शिक्षा में राजनीति की आवश्यकता नहीं बल्कि राजनीति में शिक्षा की आवश्यकता है।

अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही का अधिकार नहीं

पूर्व शिक्षा मंत्री तिवाड़ी ने प्रदेश के सभी शिक्षकों को आह्वान करते हुए कहा कि आगामी 5 सितंबर को होने वाले राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस सम्मेलन में अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर प्रदेश सरकार के पास नियमानुसार कार्यवाही करने का कोई अधिकार नहीं है। शिक्षक चाहें तो आए अथवा न आएं ये उन पर निर्भर है।

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