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राजस्थान में अफसरों-नेताओं की करतूतों पर जातिगत दबाव क्या रंग दिखाएगा

जयपुर। शराब के नशे में होटल कार्मिकों से पहले पिटने और फिर पुलिस बुलाकर जमकर पीटने वाले आईपीइस अफसर सुशील कुमार विश्नोई और आईएएस अफसर गिरधर बेनीवाल के समर्थन में उनके जातिगत संगठनों की एंट्री हो गई है।
उधर, राज्य सरकार के सरकारी कार्यक्रम में धमाल मचाने वाले कांग्रेस के नेता-नेत्री इंसाफ अली एवं उनकी पत्नी नसीम अख्तर इंसाफ के समर्थन में मुस्लिम एकता मंच ने हुंकार भर दी है। कुरैशी समाज के संगठन ने छह जिलों में नसीम के समर्थन में ज्ञापन भी दे दिए।
अजमेर में घटित ये दोनों बहुचर्चित प्रकरणों की गूंज देशभर में सुनाई दे रही है। अब इनमें सामाजिक संगठनों का दखल सरकार के लिए एक नई समस्या बनता नजर आ रहा है।
पिछले दिनों अजमेर में जयपुर हाईवे पर स्थित होटल मकराना राज में रात के समय अजमेर के दो होनहार अफसरों ने अपने साथियों के साथ शराब के नशे में जमकर सड़कछाप दादागिरी दिखाई।
आईपीएस अफसर सुशील कुमार विश्नोई और आईएएस अफसर गिरधर बेनीवाल होटल कार्मिकों से उलझे तो पिटकर भाग खड़े हुए। भागकर गेगल थाने पहुंचे और अपनी बेइज्जती का रोना रोया। यहां एएसआई रूपाराम का जाति प्रेम खौल उठा। उनके ही इलाके में कोई उनके जाति भाई अफसर की शान में गुस्ताखी कर दे तो भला कैसे सहन होता।
आनन फानन में पुलिस जीप लेकर रूपाराम अपने दो सिपाहियों मुकेश यादव और गौतम के साथ होटल मकराना राज पहुंचे। पीछे-पीछे दोनों आला अफसर भी अपने साथियों के साथ आ गए। पुलिस की सरपरस्ती में सभी ने होटल के भीतर घुसकर डंडों से कार्मिकों पर हमला बोल दिया। यह तमाम घटनाक्रम होटल के सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गया।
जोश-जोश में रूपाराम यह भूल गए कि यह होटल किसी आम व्यवसायी का नहीं बल्कि राजपूत समाज के महेन्द्र सिंह का है। इस होटल में समाज के बड़े नेताओं के साथ ही बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं का भी आना-जाना रहता है।
यही गलती पुलिस पर भारी पड़ गई। अगले ही दिन राजपूत समाज के नेता अपने ही समाज के आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के पास जा पहुंचे। उन्होंने हमलावर अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। उधर, सीसीटीवी फुटेज से रायता ऐसा फैला कि रात होते होते गहलोत सरकार ने आईपीएस सुशील विश्नोई और आईएएस गिरधर बेनीवाल को सस्पेंड कर दिया।
एसपी चूनाराम जाट ने भी एएसआई रूपाराम जाट सहित दोनों सिपाहियों मुकेश यादव व गौतम को सस्पेंड कर दिया। गेगल थानाधिकारी सुनील बेड़ा ने मन पर पत्थर बांधकर गिरधर के भाई सहित पांच साथियों को शांतिभंग में अरेस्ट कर जेल भिजवा दिया। पुलिस ने अपनी इज्जत बचाने और सरकार की नाराजगी से बचने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई तो की लेकिन शातिराना आदत नहीं छोड़ी।
होटल मालिक की शिकायत पर बेहद हल्की धाराओं में मामला दर्ज किया। गिरफ्तार सभी आरोपियों को जमानत मिल गई लेकिन उन्हें मुख्य मुकदमे में अब तक अरेस्ट नहीं किया। यहां तक कि आरोपी आईएएस और आईपीएस अफसरों पर आरोपों की जांच का जिम्मा भी उनके जूनियर अफसर आरपीएस अधिकारी मनीष बड़गुजर को दिया है। अजमेर ग्रामीण सीओ बड़गुजर अपने सीनियर से क्या पूछताछ करेंगे, यह बताने की जरूरत नहीं है।
इसी बीच जाट समाज के संगठन ने बेनीवाल और विश्नोई के निलंबन को गलत ठहराते हुए आंदोलन की चेतावनी दे दी। खामख्वाह रायता और फैलाने की तैयारी दिख रही है। कुछ शराबी अफसरों की करतूत की वजह से बेवजह समाज को बीच में लाया रहा है।

पूर्व राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ
उधर, नसीम – इंसाफ का मामला पूरी तरह पॉलिटिकल है। इसमें धर्मेन्द्र राठौड़ के इशारे पर बीडीओ विजय सिंह चौहान ने इंसाफ, नसीम और उनके बेटे समेत अन्य लोगों के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज कराया तो मुस्लिम एकता मंच के पेट में बल पड़ गए। उसने मुकदमा झूठा करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी दे दी।
उधर बीडीओ के समर्थन में सरपंच संघ और विकास अधिकारी संघ आ गए हैं, अब अगर बीडीओ चौहान के समर्थन में उनका समाज भी आ गया तो खामख्वाह यह मामला भी जातिगत रूप ले लेगा।

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