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मंत्री की मुख्यमंत्री को चुनौती : सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी दीनदयाल वाहिनी

सीकर। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि मकर सक्रांति पर प्रदेश में नई राजनीतिक शक्ति का उदय होगा। उस वाहिनी के राजनीतिक दल के नाम की घोषणा की जाएगी साथ हमारी पार्टी प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ेगी। तिवाड़ी ने दो टूक कहा​ कि आगामी चुनावों में वे वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेंगे साथ ही उन्होंने कहा कि वे सांगानेर से ही प्रत्याशी होंगे।

रामलीला मैदान से पुराना संबंध

घनश्याम तिवाड़ी ने सीकर के रामलीला मैदान में प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए रामलीला मैदान से जुड़ी अपनी यादें साझा की और कहा कि यही मैदान है जहां मेरे राजनीतिक जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी। आपातकाल के दौरान इसी मैदान से पुलिस ने मुझे भाषण देते वक्त गिरफ्तार किया था। इसी मैदान में भारतीय जनता पार्टी का पहला प्रादेशिक अधिवेशन का आयोजन किया गया था। पिछले साल 9 अगस्त से लोक संग्रह अभियान की शुरूआत भी इसी मैदान से की गई।

संस्थागत भ्रष्टाचार को संरक्षण के लिए काला कानून

तिवाड़ी ने कहा कि पिछले चुनावों में कांग्रेस के प्रति इतना गुस्सा था कि राज्य में सफाया कर दिया था और आज राजस्थान में सामंतवादी तानाशाही सरकार के भ्रष्टाचार व अराजकता से त्रस्त है। जनता को तीसरे विकल्प की जरूरत है। अब कांग्रेस जनहित के कोई काम न करने के बावजूद भाजपा शासन के नकारात्मक वोटों से दुबारा सत्ता में आने के सपने देख रही है।

चारों तरफ संस्थागत भ्रष्टाचार इतना फैल गया है कि बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहा है। मंत्री व अधिकारियों की किसी की नहीं चलती है। भ्रष्ट अफसरों को बहाल करके पोस्टिंग भी दे दी गई है। प्रदेश सरकार ने हद तो तब कर दी जब राज्य सरकार भ्रष्ट लोगों के संरक्षण के लिए काला कानून ही ले आई। जिसको भारी विरोध के बावजूद वापिस नहीं लिया गया है। आपातकाल जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो रही है।

सामाजिक समरसता के लिए वंचित वर्ग को भी आरक्षण

सामाजिक समरसता पर बोलते हुए तिवाड़ी ने कहा कि जनप्रतिनिधि अगर जातिवाद पर सोचता है तो वह जन​प्रतिनिधि कहलाने लायक नहीं है। संविधान सभा गुलाम भारत में बनी थी। उस सभा में लगभग 87 प्रतिशत हिंदू थे, जिनमें भी 84 प्रतिशत केवल ब्राह्मण थे। तो अगर जातिवाद का सोचते तो ब्राह्मण अपना ही आरक्षण करवा सकते थे। मगर उन्होंने एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण दिया।

समाज में आरक्षण को लेकर लड़ाई हो ऐसे फार्मूले को समाप्त करने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, विशेष ओ​बीसी का आरक्षण जारी रखते हुए वंचित वर्गों के गरीब बच्चों को भी 14 प्रतिशत का आरक्षण मिले। ऐसी सामाजिक समरसता की लड़ाई हम लड़ रहे हैं। वंचित वर्ग के आरक्षण के बिल को पिछले 4 सालों से सरकार दबा कर बैठी है जिसे विधानसभा में पास भी कर दिया गया मगर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।

कांग्रेस जब राज्य और केंद्र में थी तब और आज जब भाजपा भी दोनों जगह सत्तासीन है तब भी संविधान में संशोधन कर नौवीं अनुसूची तक में नहीं डलवा सकी। दोनों सरकारें इस पूरे मामले में बराबर दोषी है। गुर्जर आरक्षण और वंचित वर्ग के आरक्षण, दोनों ही मामलों में प्रदेश सरकार जनता से धोखा कर रही है।

प्रदेश में नौकरियों की स्थिति स्पष्ट करे सरकार

तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान सरकार ऐसी पहली सरकार बन गई है जो अपने लाए गए पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पर अधिसूचना तक जारी नहीं कर पाई, उससे पहले ही हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इस पूरे मामले पर मैंने विधानसभा में पहले ही सचेत कर दिया था मगर इस सरकार की समझ समाप्त हो गई। उन्होंने कहा कि ओबीसी मामले में हाई कोर्ट के स्टे के बाद सुप्रीम कोर्ट से गुर्जर आरक्षण को लेकर मिली राहत भी समाप्त हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर तीन बातें स्पष्ट करें। पहली बात कि क्या राज्य सरकार शेष एक साल के कार्यकाल में संविधान की 9वीं अनुसूची में संशोधन कराकर आरक्षण लागू करवाएगी? दूसरी मुख्य बात यह स्पष्ट करे कि तब तक नौकरियों की क्या स्थिति होगी और अंतिम बात न्यायालय में जो विचाराधीन मामले हैं जिनमें लोगों की नियुक्तियां अटकी हैं उनका क्या होगा, क्या अब एक भी नई नियुक्ति सरकार नहीं कर पाएगी?

पद्मावती मामले में भंसाली नहीं, राज्य सरकार दोषी

तिवाडी ने कहा कि पद्मावती को लेकर उठे विवाद की जड़ संजय लीला भंसाली नहीं, राजस्थान सरकार है और ये प्रदेश के लिए दुर्भाग्य का विषय है। राज्य सरकार का कार्य प्रदेश की आन बान और शान की रक्षा करना है, सरकार को इस मामले पर अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए। किसी की भावनाओं से खेलना व ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ उचित नहीं।

जो राष्ट्रवादी संगठन इस पूरे मामले में विरोध जता रहे हैं उन्हें बोस्टन नाम की कंसल्टिंग कंपनी के मुद्दे को भी उठाना चाहिए, जिसके इशारे पर ​प्रदेश सरकार काम कर रही है। इस निजी कंपनी की लापरवाही का ही नतीजा है कि प्रदेश की शान पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस कंपनी ने राजस्थान ट्यूरिज्म डिपार्टमेंट के आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट पर प्रदेश का गौरव चितौड़गढ़ की रानी पद्मनी को मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बता दिया था।

राजस्थानी स्वाभिमान को नीचा दिखाने का प्रयास

तिवाड़ी ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री ने तो राजस्थान को बाहरी लोगों का चारागाह बना कर रख दिया। उनके नेतृत्व में सरकार प्रदेश की सम्पदा पर तो डाका डाल ही रही है, प्रदेश के संवैधानिक अधिकारों पर भी डाका डाल रही है। केवल राज्यसभा में ही नहीं राजस्थान के बोर्ड और कार्पोरेशन्स में भी राजस्थान से बाहर के लोगों को लाकर भर दिया गया है। इनमें अधिकांश लोग ऐसे हैं जिन्हें न तो राजस्थान के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मुद्दों के बारे में ही कोई जानकारी है और न ही जो वे राजस्थान के इतिहास और संस्कृति से ही वाक़िफ़ हैं।

क्या मुख्यमंत्री यह मानती है कि राजस्थान में प्रतिभावान लोग नहीं हैं? निजी हितों की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री राजस्थान की प्रतिभा का निरादर करने पर तुली हुई है और अपने कार्यों से लगातार राजस्थान के स्वाभिमान को नीचा दिखाने का प्रयास कर रही है। यह स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की प्रगति में बाधा डालने वाली और जनता को नुक़सान पहुंचाने वाली इस प्रकार की मनमर्ज़ी की राजनीतिक नियुक्तियों की जानकारी को राजस्थान की जनता के सामने लाना उनका कर्तव्य है। वे पहले भी जनता के सामने इस प्रकार के मुद्दों को रखते रहे हैं और आगे भी लाते रहेंगे। जब तक राजस्थान इस चौतरफ़ा शोषण के शिकंजे से मुक्त नहीं होगा वे अपना कर्तव्य पालन करते रहेंगे।

कॉरपोरेट जगत को प्रोत्साहन और अन्नदाताओं को भीख

प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए तिवाडी उन्होंने कहा कि हाल ही भारत विश्व की आठवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना, परंतु भारतीय 184वें नंबर पर हैं। इसका अर्थ साफ है कि हमारी कुल संपदा का 58 प्रतिशत देश के केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास है। वहीं 68 प्रतिशत किसानों के पास केवल 8.5 प्रतिशत संपदा हैं।

तिवाड़ी ने फोर्ब्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ये आश्चर्यजनक है कि ऐसे दौर में भी देश के शीर्ष 100 अमीर लोगों की संपत्ति में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। किसानों की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट जगत को प्रोत्साहन के रूप में 60 हजार करोड़ की राशि परंतु किसानों को नाममात्र का अनुदान, वह भी भीख के रूप में दिया जाता है। यदि इतना ही अनुदान किसानों को भी मिले तो वे भी सम्मानित जीवन जी सकेंगे।

बिजली और मजदूरी मुफ्त मिले तो किसान को मिलेगा उपज का लाभ

किसानों की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विधानसभा में किसानों के खिलाफ एसआइआर बिल लेकर आई, जिसके कारण किसानों का खुद की ​जमीन पर से ही वैधानिक अधिकार समाप्त हो गया। ​तिवाड़ी ने कहा कि हमारी मांग है उस बिल को सरकार हर हालत में वापस ले। जिस तरह से देश के अन्य राज्यों के किसानों का कर्ज माफ हुआ वैसे ही कर्ज में डूब रहे प्रदेश के किसानों का कर्ज भी माफ होना चाहिए।

किसान के द्वारा खेती के लिए जितना भी लोन लिया गया है वह सारा का सारा बिना शर्त ​माफ किया जाना चाहिए। सांगानेर विधायक ने कहा कि जब तक सौर उर्जा के रूप में बिजली और मनरेगा के रूप में मजदूरी किसान को फ्री नहीं मिलेगी तब तक किसानों को उपज का लाभ नहीं मिलेगा।

प्रदेश में स्वामीनाथन आयोग को लागू कर उपज का डेढ़ गुना किसानों को दिया जाना चाहिए, यह राज्यभर के किसानों की मांग है जब तक इस मांग को मान नहीं लिया जायेगा तब तक राज्य का किसान चैन से नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा कि ​हम किसानों के हक और अधिकार के लिए बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।

पिछले 10 साल में अब तक एक भी विधवा को नौकरी नहीं

पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस शासन के 5 साल व वर्तमान सरकार के 4 साल के शासन ने युवाओं के साथ धोखा किया। चुनाव से पहले 15 लाख नौकरी देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार ने चुनाव के बाद सरकारी नौकरी देने का नाम तक नहीं लिया। बल्कि जो नौकरियां निकाली उनको भी जानबूझ कर न्यायालयों में अटका दी। ऐसे में बेरोजगार युवाओं में आक्रोश फैला हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मेरे शिक्षा मंत्री कार्यकाल में विधवाओं को नौकरियां दी गई थी तबसे अब 10 साल बाद एक भी विधवा को नौकरी नहीं दी गई।

विचारों के विपरीत कार्य

तिवाड़ी ने कहा कि गौ रक्षा का नारा देने और गोपालन विभाग स्थापित करने वाली सरकार ने गाय और उसकी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के लिए दस्तावेजों पर 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी। गौ शालाओं की देखरेख के अभाव में हजारों की संख्या में गायें मर रही है। ठीक इसी तरह सैकड़ों की संख्या में ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ा गया। वर्तमान भाजपा सरकार विचारों के विपरीत कार्य कर रही है।

जल्दी ही भाजपा और कांग्रेस से बड़ी पार्टी बनेगी वाहिनी

दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश सचिव अखिलेश तिवाड़ी ने कहा कि आज की राजनीति में विनयशीलता की कमी आ गई है। इसीलिए युवाओं को विनयशीलता को अपनाना चाहिए। उन्होंने राजनीतिक दशा व व्यवहार पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आजकल रावणों की उम्र घटकर महज पांच वर्ष हो गई है।

वाहिनी की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए ​​अखिलेश ने कहा कि घनश्याम तिवाड़ी के जन्मदिन पर विधायक आवास जालूपुरा पर एक कार्यक्रम के दौरान मात्र डेढ़ सौ युवाओं के साथ दीनदयाल वाहिनी की स्थापना की थी, उसका परिणाम आज रामलीला मैदान में दिखाई दे रहा है। तब पिताजी ने कहा था कि ​बुरा काम करते हुए अगर हम सफल होते हैं तो वह हमारी असफलता होती है। मगर अच्छा काम करते हुए यदि हम असफल होते हैं तब भी उसे हमारी सफलता ही कही जाएगी।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए निरंतर वाहिनी आगे बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि आज संगठन दृष्टि से प्रदेश में 39 जिलों के 11 संभागों में दीनदयाल वाहिनी का कार्य 160 विधानसभा क्षेत्रों में मजबूती से खड़ा है। अखिलेश ने कहा कि जिस प्रकार से राजस्थान की जनता का समर्थन हमें मिल रहा उससे लगता है कि जल्दी ही वाहिनी, कांग्रेस और भाजपा से भी बड़ा राजनीतिक दल बन कर खड़ा होगा। हमारी विशेषता है कि राजस्थान का प्रत्येक जातिय समाज वाहिनी का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

घनश्याम तिवाड़ी दो पीढ़ियों से तानाशाही के खिलाफ आंदोलनरत

अखिलेश तिवाड़ी ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी सच्चे युवा हैं। आपातकाल के दौरान वे भारत के सबसे युवा आंदोलनकारी थे जिस पर सरकार द्वारा सबसे ज्यादा टॉर्चर किया गया था। उस दौरान भी वे राजनीतिक तानाशाही के खिलाफ आंदोलरत थे और आज भी। उन्होंने कहा कि वाहिनी के विस्तार का मुख्य कारण राजस्थान की जनता का पांच साल भाजपा और पांच साल कांग्रेस की राजनीतिक गुलामी से तंग होना है। इस पांच पांच साल के लूट के लाईसेंस के खिलाफ जनता को ​एक तीसरा विकल्प चाहिए।

प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां खुद को नायक समझती हैं मगर जनता को ​खलनायक समझती है, परंतु इन्हें पता होना चाहिए कि जनता यदि सत्ता बदलना जानती है तो नया विकल्प खड़ा करना भी जानती है। अखिलेश तिवाड़ी ने कहा वाहिनी के विस्तार का दूसरा बड़ा कारण है घनश्याम तिवाड़ी और उनका ​नेतृत्व है। वाहिनी कार्य के विस्तार के दौरान एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा था कि जिस संघर्ष में हम प्रवेश करने जा रहे हैं माना कि वह बहुत बड़ा पर घनश्याम तिवाड़ी का नेतृत्व उससे भी बड़ा है।

वाहिनी की सच्ची ताकत कार्यकर्ता

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अपने कार्यकर्ताओं का वाहिनी के साथ खड़ा होना भी इसके विस्तार का सबसे बड़ा कारण है। जब भी अन्याय होता देखो तो निर्भिकता से अपनी आवाज बुलंद कर आगे बढ़ो और यदि कोई विकल्प न मिले तो खुद विकल्प बन जाओ। कर्ण और चाणक्य का अपमान भारतीय राजनीति में विशेष जाना जाता है, मगर हमें कर्ण से नहीं चाणक्य से प्रेरणा लेनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं लिया उन्होंने राष्ट्र की उन्नति के लिये संघर्ष किया।

इन्होंने भी दिया संबोधन

वाहिनी के सीकर व झुंझुनू जिलों के प्रतिनिधि सम्मेलन को अध्यक्ष के नाते पूर्व विधायक व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मूल सिंह शेखावत ने भी संबोधन दिया। इनके अलावा कार्यक्रम को सीकर से वाहिनी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हनुमान परस्वाल, महेंद्र मीणा, मदन मेघवाल, जगदीश खाजपूरिया, किशन जी गुरूजी, व उदयपुर से आए विजय शर्मा ने भी भाषण दिया। सम्मेलन के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन रामनिवास सैनी ने दिया।

भैंरोसिंह शेखावत की समाधि पर पुष्पांजलि

इससे पहले, तिवाड़ी जयपुर के विद्याधर नगर में स्वर्गीय भैंरोसिंह शेखावत की समाधि पर पुष्प अर्पित कर वाहन रैली के रूप में सीकर रवाना हुए। इस दौरान उनका नगरपालिका चौमूं में 11 बजे जयपुर जिला अध्यक्ष अशोक विजय के नेतृत्व में वाहिनी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने तिवाड़ी का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उनके साथ मदन टोडावता, नानूराम सैनी, किशनलाल गुरूजी, फूलचंद सैनी, संतोष सैनी व चौमूं व्यापार मंडल, कोटपूतली, शाहपुरा के कार्यकर्ता भी मौजूद थे। उन्होंने रींगस में भैंरू जी के दर्शन कर आर्शीवाद भी प्राप्त किया।

इसके बाद भव्य वाहन रैली द्वारा पलसाना, रानौली, गौरिया, बाजौर से बजाज सर्किल होते हुए देवपुरा बालाजी, कल्याण सर्किल, तापड़िया सर्किल, जाट बाजार, सुरजपोल गेट, शीतला चौक और परसुराम पार्क होते हुए आयोजन स्थल पहुंचे। इस दौरान इन सभी स्थानों पर वाहिनी कार्यकर्ताओं द्वारा वाहिनी अध्यक्ष व पूर्व शिक्षामंत्री घनश्याम तिवाड़ी का जोरदार स्वागत किया।

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