जयपुर। भारत के बहुसंख्यक समाज के अस्तित्व पर मंडराते संकट को लेकर बुधवार को अराजनैतिक एवं सामाजिक संगठन भारत रक्षा मंच की ओर से प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में इस बात पर मंथन किया गया कि आखिर वे कौन से कारण है जिनके कारण बहुसंख्यक वर्ग उपेक्षित एवं निरस्कृत किया जा रहा है।
सम्मेलन के दौरान विचार प्रकट करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आजादी के बाद बहुसंख्यक समाज के साथ भेदभाव व पक्षपात से पूर्ण व्यवहार हुआ और बहुसंख्यक समाज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाओं को निरन्तर उपेक्षित एवं निरस्कृत किया गया।
आज भारत के बहुसंख्यक समाज का अस्तित्व ही संकट में है। आजादी के बाद बहुसंख्यक समाज के साथ भेदभाव व पक्षपात से पूर्ण व्यवहार हुआ और इस समाज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाओं को निरन्तर उपेक्षित एवं निरस्कृत किया गया।
भारत में विदेशी नागरिकों का धड़ल्ले से प्रवेश हुआ, उन्हें रोकने का कोई कारगर कानून नहीं बना। उन्होंने यहां आकर नागरिकता प्राप्त कर ली तथा राजनीतिक समीकरण को बदलने में समर्थ हो गए। उनकी देश के प्रति निष्ठा न होने से उनके सारे कृत्य देश विरोधी व असामाजिक दिखाई देते हैं। कालान्तर में वे संगठित हो कर देश के सामने अलगाव व आतंकवाद की समस्याएं खड़ी करेंगे।
देश में धर्मान्तरण पर प्रतिबन्ध का कानून न होने से विदेश से आने वाले धन के बल पर धर्मान्तरण किया जा रहा है। गरीब, अनपढ लोगों को लोभ लालच देकर उन्हें धर्मान्विरित किया जाता है। यह धर्मान्तरण बाद में राष्ट्रान्तरण का रूप ले लेता है।
सैक्यूलरवाद के नाम पर केवल हिन्दुओं का विरोध होता है। उनके धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम साम्प्रदायिक समझे जाते हैं। हिन्दुओं को छोड़ कर अन्य धर्मावलम्बियों की गतिविधियां धर्मनिरपेक्ष समझी जाती है। उसके कारण वे समाज व देश को कमजोर करने का सार्वजनिक रूप से साहस करते हैं। सेक्यूलरवादी लोग उनकी पीठ थपथपाते हैं। उससे उनको और ताकत मिलती है।
मंच के राष्ट्रीय महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने कहा कि इस सब कारणों के चलते भारत में हिन्दुओं के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है। उस खतरे का प्रतिरोध करने के लिए भारत रक्षा मंच ने एकसूत्रीय कार्यक्रम हाथ में लिया है कि भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने वालों को चिन्हित कर उन्हें वापस भेजा जाए। इस हेतु देश भर में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनाया जाए व देश के सभी नागरिकों के साथ समान कानून हो तथा वे कानून सबके ऊपर समान रूप से लागू हो।
इन तीन महत्वपूर्ण मांगों के समर्थन में भारत रक्षा मंच सक्रिय है। इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके से सरकार पर दबाव बनाने के लिए कटिबद्ध है। इन दबावों में पहला बिन्दु हैः
1. मिडिया को हिन्दू के इस अस्तित्व संकट से अवगत कराकर इसका सहयोग प्राप्त
करना।
2. जनता में जनजागरण के माध्यम से इस संकट एवं देश की रक्षा के प्रश्न पर जनता
को जागरूक करना उसमें जनता का सहयोग प्राप्त करना।
3. राजनीतिक दल तथा जनप्रतिनिधियों से देश में आने वाले इस सम्भावित संकट के बारे में चर्चा कर उन्हें देशहित में कानून बनाने के लिए संवैधानिक संस्थाओं में मुखर होने का आग्रह करना।
4. जहां कानूनी लड़ाई लड़ी जा सकती है उन मुद्दों को न्यायालय में ले जाना तथा न्यायालय से न्याय प्राप्त करने का प्रयास करना।