तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक छात्रावास का मुद्दा गरमाया
न्यूज नजर डॉट कॉम
अजमेर। अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों एक मुद्दा भीतर ही भीतर सुलग रहा है। राज्य की गहलोत सरकार खुद इससे वाकिफ है और भाजपा के बोए कांटे से अपने हाथ लहूलुहान नहीं करना चाहती। यही वजह है कि सरकार ने फाइल अपने पास तलब कर ली है और वैट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रखी है।
मामला यहां तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक छात्रावास के लिए जमीन आवंटन से जुड़ा है। तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक छात्रावास विरोध संघर्ष समिति के आह्वान पर शनिवार शाम एक बार फिर सैकड़ों लोगों ने अजमेर जिला प्रशासन और अजमेर विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। बीच सड़क पर लोगों ने रामधुनी गाई और महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाला।
एक तरफ राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ अजमेर की बहु आबादी के दिलों में आक्रोश धधक रहा है। विगत वसुंधरा सरकार ने कोटड़ा इलाके में तेलंगाना हाउस और हरिभाऊ उपाध्याय नगर में अल्पसंख्यक छात्रावास के लिए जमीन आवंटन को मंजूरी दी। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तेलंगाना सरकार ने जमीन की लीज राशि जमा कराने के साथ ही नक्शा स्वीकृति की अर्जी लगा दी।
यहां लगभग 5200 वर्ग मीटर पर तेलंगाना हाउस बनेगा तो तेलंगाना से यहां दरगाह जियारत करने आने वाले मुसलमान अकीदतमंद को सहूलियत होगी। इसी को लेकर क्षेत्रवासियों में रोष है।
उनका कहना है कि आबादी इलाके में तेलंगाना हाउस बनने से यहां बाहरी तत्वों की आवाजाही होगी और साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ेगा। लोग दोनों भूमि आवंटन निरस्त कर शहर से बाहर कायड़ में जमीन आवंटन करने की मांग कर रहे हैं। कायड़ में जायरीन के लिए विश्राम स्थली भी बनी हुई है। लोगों का कहना है कि आबादी से दूर कायड़ में जमीन दी जाए तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी लेकिन कोटड़ा में जमीन दी तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यही वजह है कि लोग रोजाना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। खास बात यह है कि नौसर घाटी से लेकर हाथीखेड़ा तक की सभी कॉलोनियों और बस्ती के हजारों लोग तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक छात्रावास के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं।
इसी स्थिति को देखते हुए जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने तो अल्पसंख्यक छात्रावास के हरिभाऊ उपाध्याय नगर की बजाय चंदवरदाई नगर में जमीन देने की लिखित अर्जी भी एडीए में दे दी है, ताकि विवाद ज्यादा नहीं फैले।
उधर, तेलंगाना हाउस की फाइल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएमओ मंगवा ली है। सरकार को सीआईडी रिपोर्ट भी मिली है कि तेलंगाना हाउस व अल्पसंख्यक छात्रावास को लेकर दर्जनों इलाकों के हजारों लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। लिहाजा सरकार जल्दबाज की जगह सोच समझकर कदम उठाएगी। माना जा रहा है कि सरकार यह गतिरोध टालने के लिए तेलंगाना हाउस के लिए कायड़ में ही जमीन देने का फैसला कर सकती है। क्योंकि ऐसा नहीं करने पर बहुसंख्यक हिन्दू वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ेगी, जो चुनावी साल में कांग्रेस सरकार को काफी महंगी साबित हो सकती है।
पत्रकार वर्ग भी खिलाफ
दूसरा कारण यह भी है अभी कोटड़ा में जहां तेलंगाना हाउस के लिए जमीन दी गई है, वह जगह पत्रकार कॉलोनी से सटी है। ऐसे में शहर का पत्रकार वर्ग भी यहां जमीन आवंटन के खिलाफ है। गत दिनों दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी से मिलकर पत्रकारों एवं क्षेत्रीय लोगों का प्रतिनिधि मंडल तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक छात्रावास के लिए जमीन आवंटन रद्द कराने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत तक उनकी बात पहुंचाने का आग्रह कर चुका है।