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‘पानीपत’ की आग हरियाणा पहुंची, जानिए महाराजा सूरजमल का वास्तविक इतिहास

 

चंडीगढ़। पिछले शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म ‘पानीपत’ की आग अब राजस्थान से हरियाणा पहुंच गई है। फिल्म में जाट शासक महाराजा सूरजमल को गलत तरीके से चित्रित किया गया है। बता दें महाराजा सूरजमल एक अकेले ऐसे जाट थे जो राजपूत राजाओं के बीच वीरों में गिने जाते है। लेकिन फिल्म में उनके किरदार को अलग गलत तरीके से पेश किया गया। इसी को लेकर राजस्थान और हरियाणा में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। जाट समुदाय फिल्म पर करवाई करने की मांग कर रहे है।

ये है महाराजा सूरजमल का इतिहास
महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को हुआ। इसी दिन औरंगजेब की मौत भी हुई थी। राजा सूरजमल ने ही भरतपुर रियासत की नींव रखी। जो आज राजस्थान के भरतपुर शहर के नाम से जाना जाता है।

साल 1753 तक महाराजा सूरजमल ने दिल्ली और फिरोजशाह कोटला तक अपना राजपाठ बढ़ा लिया था। इस बात से नाराज दिल्ली के नवाब गाजीउद्दीन ने सूरजमल के खिलाफ मराठा सरदारों को भड़काया और मराठों ने भरतपुर पर चढ़ाई कर दी। उन्होंने कई महीनों तक कुम्हेर के लोहागढ़ किले को घेरे रखा। इतिहास के अनुसार, आक्रमण के बावजूद मराठा भरतपुर पर कब्जा नहीं जमा सके। इसी दौरान मराठों ने सूरजमल से संधि कर ली थी।

बता दें कि महाराजा सूरजमल ने ही भरतपुर में अभेद्य लोहागढ़ किला बनवाया है। इस किले पर अंग्रेजो ने 13 बार आक्रमण किया था लेकिन वह इसे हिला तक नहीं सके। यह किले इतिहास में हमेशा अभेद्य रहा।

इतिहास के अनुसार, पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों का युद्ध अफगानी अहमदशाह अब्दाली से हुआ। इसी दौरान दिल्ली की गद्दी को हथियाने के लिए नजीब उद्दौला अफगानिस्तान के बादशाह अहमद शाह अब्दाली के साथ मिल जाता है।

बता दें, इस युद्ध में हजारों की संख्या में मराठा योद्धा मारे गए और उनकी रसद सामग्री भी खत्म हो चुकी थी। इसके बावजूद सूरजमल ने मराठों की मदद की। उन्होंने युद्ध में घायल होकर लौट रहे मराठा सैनिकों को हर चीज उपलब्ध करवाई। बता दें, सूरजमल 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुद्दौला के साथ हिंडन नदी के तट पर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

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