वैचारिक सम्मेलन में पुरजोर मांग उठी
नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। पुष्कर में रविवार को हुए वैचारिक सम्मेलन में पुरजोर मांग उठी कि 35 घटकों में बंटे नामदेव समाज को अब एकजुट हो जाना चाहिए। कवरेज की अगली कड़ी में नामदेव न्यूज डॉट कॉम समाजबंधुओं के प्रेरक विचार प्रस्तुत कर रहा है।
कब तक बंटे रहेंगे
श्री बालाजी नागौर से आए बुजुर्ग नरेन्द्र कुमार गहलोत ने कहा कि हमारे समाज का अतीत भले ही गौरवमयी रहा लेकिन वर्तमान में हम मृतप्राय: हैं। 35 घटकों के सैकड़ों संगठन हैं लेकिन उनके पदाधिकारी सीट नहीं छोडऩा चाहते। हम उन्हें पद छोडऩे की नहीं कह रहे, हम तो बस यह चाहते हैं कि वे पद पर रहते हुए समाज की एकता के प्रयास करें। कभी कुम्भाराम आर्य ने एक नारा दिया था-जाट की बेटी जाट को, जाट का वोट जाट को। इस नारे ने जाट समाज को कहां से कहां पहुंचा दिया है। हमें भी इससे प्रेरणा लेनी होगी। वर्तमान में बिना राजनीतिक वजूद कुछ हासिल होने वाला नहीं है। हमारा अतीत गौरवमयी रहा है। हमें गर्व करना चाहिए कि हम संतों में सबसे ऊपर संत शिरोमणी के अनुयायी हैं। संघे शक्ति कलियुगे। अगर हम संगठित नहीं हुए तो आने वाला कल हमें कभी माफ नहीं करेगा।
मिलकर करें काम
अरांई से आए गोविंद नारायण गोठानिया ने कहा कि सभी खापों को एक होना होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि डिग्गी में दर्जी-छीपा सभी ने मिलकर मंदिर निर्माण किया। यह हमारी एकता का प्रतीक है।
सूचनाएं एक जगह हों
किशनगढ़ से आए युवा कुणाल ने समाज के मीडिया माध्यमों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हुए आपसी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने का सुझाव दिया।
अच्छा कदम, हम साथ हैं
जयपुर सांगानेर से आए उद्योगपति अशोक गोठरवाल व राजेश भाकर ने एकीकरण की दिशा में उठाए गए इस कदम की भरपूर सराहना करते हुए हरसंभव सहायता का विश्वास दिलाया। उन्होंने कहा कि सभी घटकों को एक होकर एकता का परिचय देना होगा।
जो छिना, वह पाना होगा
उज्जैन से आए इंजीनियर अरुण नामदेव ने कहा कि हमारे समाज का रोजगार चला गया। ओबीसी में हम सबसे नीचे हैं। जरूरत है कि हम राजनीतिक दबाव बनाकर सरकार से अपना खोया हम वापस लें। जिन बंधुओं का सिलाई कार्य छिना है, उन्हें सरकार संरक्षण दें। जिन सरकारी सेक्टर में सिलाई कार्य संबंधी पोस्ट हैं, उन पर प्राथमिकता के आधार पर नामदेव अनुयायियों को नियुक्ति दे। नामदेव समाज, कुम्हार समाज जैसे कुछ समाजों का परम्परागत काम आधुनिकता की दौड़ में छिन गया है। सरकार को चाहिए कि ऐसी जातियों के जरूरतमंद लोगों को अति-अति पिछड़ा वर्ग मानकर संरक्षण दें।
हमारे समाज की भी पहचान हो
मूल पंजाब हाल बीकानेर निवासी प्रधानाध्यापक राणा प्रताप ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि यूनिट से यूनिटी की ओर बढऩा होगा। समाज की सबसे निचली इकाई का विकास किए बगैर हम समाज का विकास नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आज हजारों की भीड़ में भी एक सिख को आसानी से पहचाना जा सकता है। उसे खुद अपना परिचय नहीं देना पड़ता, बल्कि लोग खुद ही उसे पहचान लेते हैं। जरूरत इस बात की है कि हमारे समाज की भी पहचान हो। यह पहचान उपनाम से ही हो सकती है। सभी एकसा उपनाम लगाएं तो सरकार को भी पता चल सकेगा कि हमारा समाज कितना बड़ा है।
अन्य समाजों से लें प्रेरणा
सत्यनारायण जी ने कहा कि जैन धर्मावलम्बियों में कई धड़े और मार्ग हैं। लेकिन जब हितों की बात आती है तो सभी सकल जैन समाज के बैनरतले एक होते हैं। इसी तरह ब्राह्मण जाति में भी कई उप जातियां हैं। मगर जाति के कॉलम में वे केवल ब्राह्मण ही लिखते हैं। हमें इनसे प्रेरणा लेकर एक झंडे के नीचे आना होगा।
…तो सरकार खुद झुकेगी
सिरोही से आए हजारीमल चौहान ने विश्वास दिलाया कि एकता को लेकर छिड़ी इस मुहिम को आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग देंगे। उन्होंने बताया कि समाज की सभी 35 खापें एक साथ हो तो सरकार खुद झुकेगी। खुद आगे बढ़कर हमें राजनीतिक लाभ देगी और इसी लाभ के बूते हमारे समाज का विकास होगा।
एकता जरूरी
मालपुरा टोंक से आए दुर्गालाल नामा ने बताया कि उनकी संस्था ने पूर्व में 35 घटकों को एक करने के लिए पंढरपुर सद्भावना यात्रा का आयोजन किया। उन्होंने भी एकता की महत्ती जरूरत बताई।
…ताकि दुल्हनें खरीदनी नहीं पड़े
नागौर से आए सत्यनारायण कींजड़ा ने कहा कि जैसे सकल जैन समाज एक है वैसे ही सकल नामदेव समाज का नारा देकर समाज को एक होना होगा। हम एक ही मूंग के दो टुकड़े हैं। आपसी रिश्ते-नातों को बढ़ावा देकर हम समाज की एकता कायम कर सकते हैं। अभी हालात ये हैं कि कई परिवार दूसरे राज्यों से दूसरे समाज-धर्म की लड़कियों को बहू बनाकर लाने के लिए मजबूर हैं। यह नौबत क्यों आई? हमारा समाज बहुत बड़ा है मगर बंटे हुए हैं। एक होंगे तो ऐसी नौबत नहीं आएगी।
अवगुण छोडऩे होंगे
भिनाय अजमेर से आए हेमंत नागर ने सामाजिक कुरीतियां त्यागने के साथ ही अपने अवगुण-व्यसन छोडऩे की जरूरत बताई। उन्होंने विचारणीय प्रश्न उठाया कि आजादी के बाद हम अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल क्यों हुए? तरक्की की बजाय हम और ज्यादा क्यों पिछड़े, इस पर मनन किया जाना चाहिए।
अन्यों ने भी जताई जरूरत
बैठक में अलग-अलग राज्यों से आए विभिन्न घटकों के प्रतिनिधियों ने भी एकता के लिए राष्ट्रीय संगठन की पुरजोर जरूरत बताई।
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