नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। पुष्कर में पवित्र सरोवर के किनारे वराह घाट व नृसिंह घाट के मध्य स्थित श्री नामदेव विट्ठल मंदिर पूरी तरह जर्जर हो चुका है। इसके लिए अखिल भारतीय मारवाड़ी टांक छीपा दर्जियान ट्रस्ट ने मंदिर जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है। इस कार्य में लगभग 30 लाख रुपए लागत आएगी जो समाजबंधुओं के सहयोग से एकत्र की जाएगी।
समाज की ऐतिहासिक धरोहर
अखिल भारतीय मारवाड़ी टांक क्षत्रिय छीपा दर्जियान की एकमात्र ऐतिहासिक धरोहर है जगतपिता ब्रह्मा की नगरी में पवित्र सरोवर किनारे स्थित नामदेव विट्ठल मंदिर। यह मंदिर व (कुंज)धर्मशाला लगभग 200 साल पुरानी है। इस मंदिर के अंतर्गत मदनगंज-किशनगढ़ में शार्दूल स्कूल के सामने इंजीनियर साहब की गली में एक सम्पत्ति श्री विट्ठल नामदेव भवन है। इस सम्पत्ति का वर्ष 2013 में करीब 40 लाख रुपए की लागत से नवनिर्माण किया गया था। इस भवन के भूतल पर 12 दुकानें व प्रथम मंजिल पर एक हॉल व कमरा, द्वितीय मंजिल पर एक कमरा तथा बेसमेंट में पार्किंग बनी हुई है। अधिकांश दुकानें समाजबंधुओं को ही किराए पर दी हुई हैं।
पुष्कर स्थित मंदिर-धर्मशाला की व्यवस्था के लिए पंजीकृत ट्रस्ट बना हुआ है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों का चुनाव प्रति पांच वर्ष बाद साधारण सभा में सदस्यों द्वारा किया जाता है।
विगत कुछ समय से मंदिर व धर्मशाला परिसर पूरी तरह जर्जर हो चुका है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह व सम्पूर्ण तलघर में जबरदस्त सीलन आती है। हॉल की छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। पट्टियां क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। प्लास्तर, दरवाजे-खिड़कियां, बिजली-पानी की पाइप लाइन आदि अत्यधिक बुरी हालत में हैं। भवन की हालत इतनी दयनीय है कि कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है।
ऐसे में गत वर्ष साधारण सभा में समाजबंधुओं ने इस भवन के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया। ऐसे में सभी समाजबंधुओं का नैतिक दायित्व व कर्तव्य है कि वह बढ़-चढ़कर इस पुनीत कार्य में योगदान दें। जीर्णोद्धार के लिए लगभग 30 लाख रुपए की आवश्यकता है।
इसके लिए ट्रस्ट के बैंक खाते में सहयोग राशि जमा कराई जा सकती है।
नया ना सही, पुराना तो संजोओ
अन्य समाजों की तुलना में नामदेव समाज की सम्पत्तियां काफी कम हैं। जो हैं वे काफी पुरानी हैं। वर्तमान में अन्य समाजों के मुकाबले राजनीतिक प्रतिनिधित्व अति कमजोर होने के कारण नामदेव समाज को सरकार की तरफ से रियायती भूमि आवंटन भी नहीं हो रहा है। ऐसे में समाजबंधुओं का दायित्व है कि वे पुरानी सम्पत्ति को सुरक्षित रखने में भरपूर सहयोग दें।