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धनतेरस : बाजार पर मेहरबान लक्ष्मी


अजमेर। पांच दिवसीय दीप पर्व का सोमवार को धनतेरस के साथ ही शुभारंभ हो गया है। इस दौरान रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा एवं भाईदूज मनाई जाएगी। दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस पर बाजारों पर लक्ष्मी मेहरबान रहीं। लोगों ने जमकर खरीदारी की। शाम को दीप जलाए। पूरा शहर रोशनी से जगमग करने लगा है।

धनतेरस पर गहने आदि के साथ ही बर्तनों की खरीदारी को शुभ माना जाता है। इसके साथ इलेक्ट्रानिक वस्तुएं, वाहन सहित साज सज्जा व पूजन सामग्री की भी जमकर खरीदी हुई।

शहर के नया बाजार, मदार गेट, पड़ाव, केसरगंज, पुरानी मंडी आदि इलाकों में तो मानों पूरा शहर की खरीदारी करने उमड़ आया। कई लोगों ने वाहनों की पहले से बुकिंग करा रखी थी। वाहन की डिलीवरी धनतेरस पर ली। वाहन शोरूम पर जबरदस्त चहल-पहल रही। वाहन डिलीवरी लेने के बाद आगरा गेट गणेशजी मंदिर, रामगंज में बिखरे बालाजी मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पूजा के लिए आए नए वाहनों की रेलमपेल रही।

सर्राफा मार्केट में चांदी, सोने के सिक्कों सहित जेवरों की खूब बिक्री हुई। बर्तनों की दुकानोंं तो ग्राहकों की भीड़ के कारण पैर रखने तक की जगह नहीं थी। फटाकों की भी बिक्री तेज हो गई है। इलेक्ट्रोनिक शोरूम पर ईनामी ऑफर के साथ ही किस्तों की भी सुविधा दी जा रही है। लोगों ने एलईडी टीवी आदि की भी खरीदारी की।

भगवान धनवंतरि को नमन
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और इसी समुद्र मंथन में से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। इसलिए यह पर्व भगवान धनवंतरि की पूजा के रूप में दीपावली पर्व के पहले मनाया जाता है। सोमवार को आयुर्वेद से जुड़े लोगों ने भगवान धनवंतरि की पूजा की।

धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे ब$डा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरी चिकित्सा के देवता भी हैं।