जयपुर। सामाजिक व साहित्यिक क्षेत्र में अग्रणी सम्पर्क संस्थान के तत्वाधान में युवा कवयित्री रेनू शर्मा शब्द मुखर द्वारा सम्पादित देश विदेश की ख्यातनाम 51 कवयित्रियों के सांझा काव्य संग्रह ‘ तेरे मेरे शब्द..’व एकल काव्य-संग्रह ‘अनकहे शब्द ‘का विमोचन समारोह पूर्वक होटल सफारी में हुआ ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विनोद शंकर दवे, अध्यक्षता मोटिवेशनल स्पीकर व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मनोज शर्मा, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कवि संजय शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार व समीक्षक नरेंद्र शर्मा ‘कुसुम’, राष्ट्रीय ओज कवयित्री वीणा शर्मा सागर, ifwj के प्रदेशाध्यक्ष उपेन्द्र राठौड़, सम्पर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा, महासचिव विमल चौहान तथा रेनू शर्मा ने विमोचन किया।
अतिथियों ने सरस्वती मां के छायाचित्र की पूजा व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंम्भ किया। आयोजन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देवलोकगमन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। इस दौरान पूरा आयोजन सादगी पूर्वक रखा गया ।
इस अवसर पर न्याय मूर्ति श्री दवे ने साहित्य व काव्य को आज के परिवेश की सबसे बड़ी जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि नई पीढी को पुनः पुस्तकों से जोड़ना आज जरूरी है। उन्होंने सम्पर्क संस्थान व संपादक रेनू शर्मा की खुल के तारीफ करते हुए कहा कि एक जाजम पे कवियत्रियों का आकर साहित्य के प्रति रुचि दिखाना बहुत बडी बात है ।
संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने संम्पर्क संस्थान का परिचय देते हुए सेव बेटी से सेफ बेटी के सिद्धांत पर कार्य करने तथा साहित्य क्षेत्र में संपर्क के द्वारा हमेशा आगे बढ़ने को आश्वस्त किया। कवयित्री रेनू शर्मा ने बताया कि देश-विदेश की 51 कवयित्रियों को मात्र 51 दिन में उन्होंने जयपुर में एक जाजम पर इकट्ठा कर सामाजिक समन्वयता का उदाहरण प्रस्तुत किया है । उन्होंने बताया कि इस काव्य संग्रह में 51 कवयित्रियों की बानगी है तथा ये कविताएं समय के अनेक रंग रूप और स्वभाव को रेखांकित करती हैं।
इस अवसर पर दूर दराज से आए सभी कवयित्रियों को उनके उत्कृष्ट लेखन व साहित्य सेवा के लिए ‘काव्य सम्पर्क सम्मान’ से विभूषित किया गया । कार्यक्रम का समा कोटा के राष्ट्रीय ओज कवि संजय शुक्ला व ब्यावर से आई राष्ट्रीय कवयित्री वीणा शर्मा ‘सागर’ ने बांध दिया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने हास परिहास के बीच अपने अनूठे अंदाज में कहा कि कविता के माध्यम से ही हम शब्दों का संसार रच सकते हैं । कविता लेखन कर हम लोग स्फूर्ति से काम कर सकते हैं। कविताएं हमारी संस्कृति में रची और बसी होती है। उन्होंने जीवन को खुल के जीने की सलाह देते हुए जमकर मस्ती की ।
मंच संचालन कवयित्री विजय लक्ष्मी जांगिड़ ने किया ।इसी के द्वितीय सेशन में स्पंदन साहित्यिक संस्था की अध्य्क्ष नीलिमा टिक्कू,राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान की अध्यक्ष डॉ जयश्री शर्मा,ओज कवयित्री वीना शर्मा ‘सागर’, दिल्ली से आये ओज कवि संजय शुक्ला,बनज जी ,डॉ ० लता सुरेश व पालनहार फाउंडेशन की अध्यक्ष संगीता राजा के सानिध्य में सभी दूर दराज से आई कवयित्रियों का काव्य पाठ भी सम्पन्न हुआ।
साहित्य कर्म श्री अवार्ड
समारोह के दौरान अतिथियों ने हिन्दी प्रचार प्रसार संस्थान , संपर्क संस्थान , पत्रकार संघ द्वारा घोषित साहित्य कर्म श्री अवार्ड कवियत्री रेनू शर्मा शब्द मुखर है को प्रदान किया गया । उन्हें 21 हजार रुपये के साथ ही प्रशस्ती पत्र व शॉल पहनाकर अभिनंदन किया गया ।