जयपुर। मुझे नहीं मालूम आनंदपाल कब पकड़ा जाएगा, …पुलिस के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जो आनंदपाल को पकड़ लेगी…, मुझे तो रात-दिन आनंदपाल ही नजर आता है, कभी-कभी लगता है कि मैं खुद ही आनंदपाल बन गया हूं !
खीज, बेबसी और बेपरवाही से भरे ये बोल हैं राजस्थान के होम मिनिस्टर गुलाब चंद कटारिया के जो इन डेढ़ साल में हर दूसरे दिन उनके मुंह से सुने जाते थे।
जब भी कटारिया किसी जगह पहुंचते, मीडियाकर्मी उनसे एक ही सवाल पूछते कि आनंदपाल कब पकड़ा जाएगा। झुंझलाकर कटारिया कभी अपनी खीज दिखाते तो कभी लाचारी।
इस बार तो हद ही हो गई। एसओजी ने इस खतरनाक गैंगस्टर को मार गिराया और होम मिनिस्टर को खबर तक नहीं लगी। बकौल कटारिया, मैं तो सो रहा था। सीएम ने फोन कर जगाया और बधाई दी कि आनंदपाल मारा गया।
गृह मंत्री के इस बयान से अंदाज लगाया जा सकता है कि उनकी अपने विभाग के अफसरों पर कितनी पकड़ है।
आनंदपाल ट्रेस हो गया, उसके भाई पकड़े गए, एसओजी ने घेराबंदी कर दी, गोलियां चली…इन सबके बावजूद किसी अफसर ने अपने होम मिनिस्टर को पहली फुर्सत में इत्तला देना मुनासिब नहीं समझा।
यहां तक कि उनसे पहले सीएम वसुंधरा राजे तक खबर पहुंच चुकी थी। ऐसे में गृह मंत्री की सजगता और विभाग पर पकड़ को लेकर सवाल उठना वाजिब है।
रविवार को पत्रकारों के जवाब देने में भी कटारिया के बोल लड़खड़ा रहे थे। इससे आभास हो रहा था कि एनकाउंटर के 12 घण्टे बाद भी उनके पास पूरी जानकारी नहीं थी।
आगे भी कटारिया के बोल इस मामले में किन-किन विवादों को हवा देंगे, यह देखने वाली बात होगी।
कटारिया सीधे सज्जन और धर्मभीरू नेता हैं और इस गन्दी राजनीति में ऐसे नेता का कोई काम नहीं है, खासकर सबसे बिगड़ैल घोड़े यानी पुलिस महकमे की लगाम तो उनके हाथों में हर्गिज नहीं सम्भल रही। ऐसे में सवाल यह भी है क्या कटारिया को अब रिटायरमेंट ले लेना चाहिए ?