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डीबीएन स्कूल में अभिभावकों का हंगामा, धोखाधड़ी का आरोप


एफआईआर व तालाबंदी की चेतावनी
अजमेर। डीबीएन स्कूल इंग्लिश मीडियम और हिन्दी मीडियम स्कूल को गुपचुप में मर्ज कर दिया गया है। बुधवार को इसका पता लगने पर अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने इसे धोखाधड़ी बताते हुए सोमवार को एफआईआर दर्ज कराने व स्कूल पर तालाबंदी की चेतावनी दी है। मैनेजमेंट कमेटी दिल्ली से प्राचार्य बनाकर भेजे गए सुशांत सिंह ने अभिभावकों को सोमवार तक स्थिति स्पष्ट करने का आश्वासन दिया है।
डीबीएन इंग्लिश मीडियम की प्रिंसीपल अर्चना सिन्हा ने पिछले दिनों पेरेंट्स मीटिंग बुलाकर कहा कि वर्तमान बिल्डिंग में जगह की
ेंकमी के कारण हमने बंद हो चुकी कृष्णराव वाब्ले गल्र्स स्कूल की बिल्डिंग ले ली है। अब प्राइमरी तक की कक्षाएं उस बिल्डिंग में लगेंगी। अभिभावकों को इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगा। 21 जून से जब कक्षाएं लगने लगीं तो इंग्लिश मीडियम के बच्चों को हिन्दी मीडियम स्कूल के बिल्डिंग में हिन्दी मीडियम वाले बच्चों के साथ बैठाना शुरू कर दिया। यहां तक कि टीचर भी हिन्दी माध्यम के भेजे जाने लगे।
सोमवार को अभिभावकों ने प्रिंसीपल अर्चना सिन्हा से मिलना चाहा तो उन्होंने बताया कि वे तो महज प्रभारी हैं। नए प्राचार्य सुशांत सिंह हैं और वे हिन्दी मीडियम स्कूल के प्रिंसीपल चैम्बर में बैठे हैं। अभिभावकोंं से सुशांत सिंह के समक्ष यह कहकर विरोध जताया कि हमने बच्चों को जब इंग्लिश मीडियम में प्रवेश दिलाया है तो अब आप गुपचुप उन्हें हिन्दी मीडियम स्कूल में कैसे मर्ज कर सकते हैं। हिन्दी मीडियम स्कूल का माहौल ठीक नहीं है। इससे नन्हे-बच्चों का भविष्य बिगड़ जाएगा अगर मैनेजमेंट को ऐसा करना था तो सेशन की शुरुआत में अभिभावकों को बता देना चाहिए था ताकि वे टीसी कटाकर किसी और इंग्लिश मीडियम में बच्चों को दाखिला दिला देते। मगर मैनेजमेंट ने ऐसा नहीं किया। अपै्रल में तीन माह की फीस ले ली। हजारों रुपए की इंग्लिश मीडियम की किताबें बेच दीं। अब मझधार में फंसा दिया गया है।
कोई भी अभिभावक क्यों चाहेगा कि उसका बच्चा जो कई साल से इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहा है, उसे अब हिन्दी मीडियम स्कूल में पढ़ाया जाए। अभिभावकों ने इसे धोखाधड़ी बताते हुए चेतावनी दी कि अगर इंग्लिश मीडियम के बच्चों को पहले वाले भवन में नहीं बैठाया गया, पहले वाला टीचिंग स्टाफ नहीं लगाया तो धोखाधड़ी व बच्चों का भविष्य बिगाडऩे पर पुलिस में मामला दर्ज कराया जाएगा। एनएसयूआई व एबीवीपी की मदद से स्कूल पर तालाबंदी की जाएगी। शिक्षा विभाग से भी शिकायत की जाएगी। प्राचार्य सिंह ने अभिभावकों को सोमवार तक का आश्वासन दिया है।
रो पड़ी टीचर्स


डीबीएन मैनेजमेंट संविदा पर लगी टीचर्स को हटा रहा है। उन्हें लिखित में हटाने के आदेश दिए जा चुके हैं। इस पर बुधवार को कई टीचर्स की रुलाई फूट पड़ी। दरअसल यह संविदाकर्मी ही इंग्लिश मीडियम में बच्चों को पढ़ा रहे थे। अभिभावक भी चाहते हैं कि यही स्टाफ पढ़ाए, लेकिन मैनेजमेंट इसे हटाकर स्थायी स्टाफ को काम में लेना चाहता है। स्थाई स्टाफ में टीचर हिन्दी मीडियम के हैं, वे भला इंग्लिश मीडियम के बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे? जाहिर है इससे बच्चों का भविष्य खराब होगा।
कटानी पड़ी टीसी
डीबीएन इंग्लिश मीडियम में फस्र्ट से पढऩे के बाद अब आठवीं में आए कई विद्यार्थियों को टीसी कटवानी पड़ी है। दरअसल यह स्कूल में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबंद्ध है। ऐसे में पहली से सातवीं तक अंगे्रजी पढऩे के बाद आठवीं में हिन्दी पाठ्यक्रम लागू कर दिया। इससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ता देख कई अभिभावकों ने टीसी कटवाकर बच्चों का डीएवी शताब्दी स्कूल में दाखिला कराया है।
तो अर्चना सिन्हा अब तक खुद को प्रिंसीपल क्यों बताती रहीं?
तीन साल पहले अर्चना सिन्हा को डीबीएन इंग्लिश मीडियम का प्रिंसीपल बनाया गया। अभिभावक बतौर प्रिंसीपल उन्हें ही पहचानते हैं। यहां तक स्कूल की गतिविधियों के समाचारों में अखबारों में अर्चना सिन्हा का नाम ही प्रकाशित होता रहा है। बच्चों को मिलने वाली सभी सूचनाएं उनके हवाले से दी जाती है, अब सुशांत सिंह व खुद अर्चना सिन्हा साफ इनकार कर रहे हैं कि वह नहीं बल्कि प्रिंसीपल सुशांत सिंह है। अभिभावकों ने इस गड़बड़झाले पर भी विरोध जताया।