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चेटीचंड महोत्सव : नवसंवत्सर व चेटीचण्ड पर संगोष्ठी

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अजमेर। पूज्य झूलेलाल जयन्ती समारोह समिति के संयोजन में चल रहे 25 दिवसीय चेटीचंड महापर्व के मौके पर 11वें दिन संत कंवरराम धर्मशाला में चेटीचण्ड व नवसम्वतसर पर व्याख्यान माला आयोजित की गई।

महासचिव महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि संगोष्ठी के मुख्य वक्ता नवसंवत्सर समारोह समिति के तुलसी सोनी ने कहा कि नववर्ष हमें जरूर मनाना चाहिए। उन्होंने नवसंवत्सर की महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि संवत्सर अर्थात वत्सर-वार-दिन बराबर हों प्रकृति में साम्यावस्था हो। उस विशेष घड़ी को जिस समय ये सब हों, उसी समय से संवत्सर प्रारम्भ होता है।

ब्रह्मा ने सृष्टि प्रारम्भ की तभी से हमारा सृष्टि संवत् चल रहा है। लगभग दो अरब वर्ष से सृष्टि संवत् है। एक अरब 67 करोड़ 58 लाख 85 हजार 115 ऐसा करके सृष्टि संवत् हमारा है। यह वर्ष प्रतिपदा से शुरू होता है। इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नया विक्रम संवत्सर 2076 प्रारम्भ हो रहा है। ईष्टदेव झूलेलाल का जन्म इसी दिन हुआ इसलिए हम चेटीचण्ड झूलेलाल जयंती के रूप में मनाते हैं।

समिति के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी ने बताया कि जिस मास की पूर्णिमा को जो नक्षत्र पड़ता है, उसी के आधार पर भारतीय मासों के नाम होते हैं। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन ये सभी नाम नक्षत्रों के आधार पर ही हैं। इस प्रकार विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक काल गणना से निर्मित पंचांग हमारी थाति है, इसके गौरव का स्मरण व पुनर्स्थापन के संकल्प का दिन नव सम्वत्सर व चेटीचण्ड है।

मोहन कोटवाणी ने कहा कि इस दिन सृष्टि की रचना का प्रारम्भ दिवस, महर्षि गौतम जन्म दिवस, प्रभु श्रीराम राज्याभिषेक दिवस, नवरात्रि पर्व प्रारम्भ दिवस, विक्रम सम्वंत आदि सभी सम्वतों का शुभारंभ दिवस, वरूणावतार झूलेलाल जन्म दिवस, आर्य समाज स्थापना दिवस, डॉ.भीमराव अम्बेडकर जन्म दिवस, संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जन्म दिवस, अजयमेरू स्थान दिवस है जिसका महत्व युवा पीढी को कराना है।

मंच संचालन भारतीय सिन्धु सभा के अध्यक्ष नरेन्द्र बसराणी ने किया। स्वागत भाषण जयकिशन लख्याणी ने दिया व आभार दिलीप बूलचंदाणी ने जताया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में भारत माता, ईष्टदेव झूलेलाल व संत कवंरराम के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। देश भक्ति गीत केजे ज्ञानी ने प्रस्तुत किया।

संगोष्ठी में लाल बूलचंदाणी, नरेन्द्र सोनी, आईजी भम्भाणी, जगदीश अबिचंदाणी, भगवान कलवाणी, महेश टेकचंदाणी, कमल लालवाणी, बलराम हरलाणी, दीपक साधवाणी, रमेश एच.लालवाणी, किशन केवलाणी, कमलेश शर्मा, महेश मलचंदाणी सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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