अजमेर। राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में पाकिस्तान से आने वाला जायरीनों का जत्था इस बार भी अजमेर शरीफ नहीं आ पाएगा।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार वीजा नहीं मिलने से पडोसी मुल्क पाकिस्तान के जायरीनों का अजमेर आना लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में अजमेर में पाकिस्तानी दल को ठहराने की अभी तक कोई तैयारी अमल में नहीं लाई गई है।
गौरतलब है दोनों देशों के बीच रिश्तों में चल रही खटास के चलते पिछले दो साल से पाकिस्तानी जत्था अजमेर शरीफ नहीं आ रहा है। यूं अमूमन उर्स में 500 से ज्यादा पाकिस्तानी जत्थे के आने तथा वहां की हुकूमत की ओर से गरीब नवाज की बारगाह में चादर पेश करने की परंपरा रही है।
झंड़ा चढने के बाद पहले जुम्मे की नमाज अदा की
अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर 808वें सालाना उर्स का झंडा चढ़ने की रस्म के बाद आज पहला जुम्मा पड़ने से बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने जुम्मे की नमाज अदा की। झंडे के बाद के पहले जुम्मे को देखते हुए प्रशासन ने भी ऐतिहातन खास इंतजाम किए तथा नगर निगम के दस्तों ने दरगाह क्षेत्र की गलियों पर बैरिकेटिंग कर नमाज के दौरान नियंत्रण बनाए रखा।
गरीब नवाज के उर्स पर झंडे की रस्म के बाद पहले जुम्मे का विशेष धार्मिक महत्व होता है।इसको देखते हुए दूरदराज से आए जायरीनों, आसपास के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से आए अकीदतमंदों तथा खादिम समुदाय ने दरगाह पहुंचकर नमाज अदा की और ख्वाजा साहब की बारगाह की ओर ध्यान कर विशेष दुआ की।
गौरतलब है कि उर्स की विधिवत शुरुआत रजब का चांद दिखाई देने पर चौबीस अथवा पच्चीस फरवरी से होगी और इसके तुरंत बाद 28 फरवरी को पड़ने वाले जुम्मे पर उर्स की बड़ी नमाज अदा की जाएगी।