अजमेर.अजमेर दरगाह क्षेत्र से अगवा हुई चार साल की बच्ची को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के रामपुर से सुरक्षित दस्तयाब किया. साथ ही मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्त में लिया है.
जब आरोपी पकड़े गए, तब जाकर अजमेर पुलिस ने मीडिया के सामने अपहरण का मामला खोला। इससे पहले दो दिन तक पुलिस ने मीडिया से किडनैपिंग जैसा संगीन केस छिपाए रखा।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपियों की शिनाख्त की और फिर बच्ची को यूपी के रामपुर से अपहरणकर्ताओं के चुंगल से सुरक्षित बचाया. वहीं, पुलिस आरोपियों को लेकर रामपुर से अजमेर पहुंच गई है.
अजमेर एसपी देवेंद्र बिश्नोई ने बताया कि आरोपी की पहचान और उसे पकड़ने के लिए टीम गठित की गई. आरोपी की पहचान होने के बाद अजमेर पुलिस ने यूपी पुलिस से संपर्क किया. यूपी पुलिस की मदद से तीनों आरोपियों को पकड़ा गया. साथ ही आरोपियों के चुंगल से मासूम बच्ची को छुड़ाया गया. अजमेर पुलिस की टीम आरोपियों और बच्ची को लेकर अजमेर लौट आई है. पुलिस ने उत्तर प्रदेश के रामपुर क्षेत्र से मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद अकील और हबीब खान को पकड़ा है.
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गत शनिवार को जयपुर से आए जायरीन परिवार की बच्ची किडनैप हो गई थी. बच्ची के पिता अनीश खान की रिपोर्ट पर पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो उसमें एक आरोपी गोद में बच्ची को लेकर जाता दिख गया.
उस फुटेज के आधार पर पुलिस उस होटल तक पहुंची जहां किडनैपर ठहरे हुए थे. वहां से उनका पता मिलते ही पुलिस पीछे पीछे रामपुर पहुंच गई थी.
इतना सब कुछ हो गया लेकिन अजमेर पुलिस ने मीडिया से मामला छिपाए रखा. जब आरोपी पकड़े गए, तब जाकर पुलिस ने मामला खोला.
बदल गई केस की तस्वीर
पकड़े गए आरोपियों ने तर्क दिया कि बच्ची उन्हें अकेले रोते हुए मिली थी. उन्होंने आसपास उसके बारे पूछताछ की लेकिन कोई पहचान नहीं होने पर बच्ची को साथ ले गए थे, जबकि उन्होंने पुलिस से सम्पर्क तक नहीं किया था. पुलिस को अंदेशा है कि आरोपियों के ताल्लुक बच्चा चोर गिरोह से हो सकते हैं, लिहाजा पुलिस रिमांड पर उनसे पूछताछ की गई. बाद में अदालत ने तीनों को जेल भेज दिया है. उधर बच्ची के पिता ने पुलिस कार्रवाई नहीं करने की मंशा जाहिर कर पुलिस को झटका दे दिया है.
चूंकि मामला अपहरण का है, इसलिए पुलिस इसकी तह तक जाने में जुटी है. मामला अदालत तक पहुंचेगा, तभी नतीजे तक पहुंचेगा.
फिलहाल इस केस ने पुलिस की मुस्तैदी तो दिखा दी, लेकिन मीडिया से मामला छिपाने की वजह साफ नहीं हुई है. अगर बच्ची बरामद नहीं होती तो अपहरण जैसे संगीन मामले के कलंक को शायद अजमेर पुलिस छिपाने में कामयाब हो जाती. आमतौर पर कोई धारा 151 में या फिर छोटे मोटे अपराध में पकड़ा जाता है तो एसपी खुद प्रेस नोट जारी कर जानकारी देते हैं लेकिन किडनैप जैसा मामला दो दिन तक दबाए रखा.