Breaking News
Home / breaking / अजमेर DSO ने पल्ला झाड़ा, बोले- हमारा काम नहीं !

अजमेर DSO ने पल्ला झाड़ा, बोले- हमारा काम नहीं !

 संभागीय आयुक्त कार्यालय

हुआ चकरघिन्नी

सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। राजस्थान सम्पर्क पोर्टल के जरिए अजमेर संभागीय आयुक्त कार्यालय को मिली एक शिकायत आपसी मिलीभगत की वजह से त्रिशंकु की तरह अधरझूल में अटक गई है। संभागीय आयुक्त कार्यालय के कार्मिकों ने यह शिकायत जिला रसद अधिकारी को भेज दी लेकिन डीएसओ कार्यालय ने यह जवाब देकर चकरघिन्नी कर दिया कि यह शिकायत उनके कार्यालय से नहीं बल्कि जिला कलेक्टर कार्यालय से सम्बंधित है। जबकि बिलकुल ऐसे ही एक अन्य प्रकरण में कुछ माह पहले डीएसओ खुद कार्रवाई कर चुके हैं लेकिन इस बार पल्ला झाड़ लिया है।
ऐसे में सवाल उत्पन्न हो गया है कि या तो तब डीएसओ ने अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर अविधिक रूप से कार्रवाई की थी या फिर अब संभागीय आयुक्त कार्यालय को गलत जवाब देकर गुमराह कर रहे हैं।

यह है मामला

रामगंज निवासी एक जागरूक नागरिक ने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर एक गम्भीर शिकायत दर्ज कराई जिसका क्रमांक 092401320649493 है। यह शिकायत रामगंज ब्यावर रोड स्थित अनिल पेट्रोल पम्प पर नियम विरुद्ध सड़क पर ही डिस्पेंसर यूनिटें लगाकर अतिज्वलनशील पेट्रोल डीजल की बिक्री करने और आमजन की जान जोखिम में डालने के सम्बंध में है।
रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित अनिल पेट्रोल पंप पर सड़क किनारे लगी पेट्रोल-डीजल की डीयू मशीनें। जिन्हें बाद में शिकायत के चलते आनन फानन में पीछे शिफ्ट कर दिया गया है।
इस पम्प पर 6 महीने तक आधुनिकीकरण का काम चला। उस दौरान नया भवन बनने के साथ ही पेट्रोल डीजल के भूमिगत टैंक बदले गए। नई पाइप लाइनें बिछाई गई। बिक्री प्रभावित न हो, इसके लिए सड़क किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगा दी गई जिससे गम्भीर अग्निकांड हो सकता है। इस पम्प के पास ही दो और पेट्रोल पंप हैं। पास ही दो स्कूलें और रेलवे अस्पताल हैं। अग्निकांड होने पर जानमाल की भारी तबाही हो सकती है।
अजमेर संभागीय आयुक्त कार्यालय ने यह शिकायत आवश्यक कार्यवाही के लिए अजमेर डीएसओ कार्यालय को भेज दी।
इसके बाद 23 सितम्बर को +917727859778 नम्बर से शिकायत कर्ता को फोन आया। उसने स्वयं को डीएसओ कार्यालय से बताते हुए कहा कि यह शिकायत हमारे डिपार्टमेंट को क्यों भेजी है। हमारा इससे क्या लेना-देना। कलक्टर को भेजो या फायर बिग्रेड को बताओ।
 इस पर शिकायत कर्ता ने ‘राजस्थान पत्रिका’ समाचार पत्र की कटिंग उन्हें भेजते हुए अवगत कराया कि बिल्कुल ऐसा ही एक केस 5 महीने पहले अप्रैल माह में भी सामने आ चुका है। तब जयपुर रोड पर जयपुर रोड पर पटेल मैदान के सामने स्थित बजरंग पेट्रोल पंप पर पंप संचालक फुटपाथ के किनारे डिस्पेंसर यूनिट लगाकर पेट्रोल की बिक्री कर रहा था इससे राहगीरों की जान को खतरा उत्पन्न हो गया। इसे लेकर ‘राजस्थान पत्रिका’ ने समाचार प्रकाशित किया था।
समाचार प्रकाशन के अगले ही दिन जिला रसद अधिकारी हेमंत आर्य दलबल के साथ बजरंग पेट्रोल पंप पर आ धमके। उन्होंने पेट्रोल पंप संचालक को आमजन की सुरक्षा के मद्देनजर बिक्री बंद करने के निर्देश दिए। पेट्रोल पंप संचालक प्रदीप गर्ग ने इस संबंध में नगर निगम की एनओसी होने का तर्क दिया लेकिन डीएसओ आर्य ने इसे खारिज करते हुए आमजन की सुरक्षा के लिहाज से सड़क किनारे पेट्रोल डीजल की बिक्री को असुरक्षित मानते हुए नोजल सीज कर दिए थे।
यह समाचार भी ‘राजस्थान पत्रिका’ में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था।
आईओसीएल के बजरंग पेट्रोल पंप पर कार्रवाई करते तत्कालीन डीएसओ हेमंत आर्य।
 इससे साबित होता है कि पेट्रोल पम्पों पर कार्रवाई का अधिकार जिला रसद अधिकारी कार्यालय को भी है। अब ब्यावर रोड पर भी रेलवे अस्पताल के पास हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पम्प अनिल सर्विस सेंटर पर  इसी तरह दो मशीनें अवैध रूप से सड़क किनारे लगाकर पूरे 6 महीने तक पेट्रोल डीजल की बिक्री की गई। लिहाजा, डीएसओ को यहां भी कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन 6 महीने तक डीएसओ ने इधर झांककर भी नहीं देखा।
अब जब सम्पर्क पोर्टल के जरिए शिकायत मिल भी गई तो डीएसओ कार्यालय ने पल्ला झाड़ते हुए गेंद कलक्टर के पाले में डाल दी। डीएसओ ने शिकायत अपने से सम्बंधित नहीं होना बताते हुए जिला कलक्टर कार्यालय से सम्बंधित होना बता दिया और शिकायत रद्द करने की सिफारिश कर दी।
सम्पर्क पोर्टल पर डीएसओ कार्यालय द्वारा डाला गया रिमार्क।

आमजन की सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेदार ?

जिला रसद अधिकारी कार्यालय के इस रवैये से कई सवाल खड़े हो गए हैं।पहला तो यह कि आमजन का जीवन खतरे में डालने वालों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?
दूसरा यह कि इस बार कार्रवाई करने से डीएसओ ने मना क्यों कर दिया, जबकि पूर्व में ऐसे ही एक मामले में वह एक्शन ले चुके हैं?
तीसरा यह कि क्या संभागीय आयुक्त कार्यालय के निर्देश की पालना करना डीएसओ का कर्तव्य नहीं है।?
चौथा यह कि डीएसओ ने शिकायत रद्द करने की सिफारिश क्यों की जबकि उन्हें यह शिकायत कलक्टर कार्यालय को फारवर्ड करनी चाहिए थी?
पांचवा यह कि अगर पेट्रोल पंप डीएसओ के अधीन नहीं आते हैं तो कलेक्ट्रेट की गाड़ियों को उधार में पेट्रोल डीजल की सप्लाई नहीं देने पर डीएसओ कार्यालय किस हैसियत से पेट्रोल पंप संचालकों पर गैर वाजिब दबाव बनाता है? अब डीएसओ के इस जवाब से सभी पेट्रोल पंप संचालक जरूर खुश होंगे।
छठा यह कि संभागीय आयुक्त खुद कई बार बैठकों में अधिकारियों को सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायतों का गम्भीरता से निस्तारण करने के निर्देश दे चुके हैं, इसके बावजूद खुद उनके कार्यालय से भेजी गई शिकायत को डीएसओ कार्यालय ने लीपापोती कर रद्द करा दिया। इससे सवाल उठता है कि राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज होने वाली शिकायतों का कोई धणी-धोरी है या नहीं?

Check Also

यूपी में मुस्लिम युवकों की भीड़ ने पुलिस पर किया पथराव, बदले में लाठीचार्ज

मुजफ्फरपुर। मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव के दाैरान ककरौली में पुलिस पर पथराव किया गया। इस …