वसुंधरा की जागीर नहीं है बीजेपी
January 8, 2017
breaking, जयपुर, पॉलिटिक्स, राजस्थान
भाजपा विधायक तिवाड़ी फिर गरजे
|
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने रविवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा सरकार पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।
दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने अपने दो दिवसीय हाड़ौती में लोकसंपर्क अभियान के तहत कोटा के टीलेश्वर महादेव में आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान कला बोर्ड में 11 सदस्यों में से एक भी राजस्थान का नहीं। वहीं नदियों के लिए आयोग बनाया तो उसमें भी बाहरी व्यक्ति को स्थान दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा किसी जाति-जनजाति, सेठ-साहूकार, महाजन-पंडित या किसी राजा महाराजा की जागीर नहीं है, यह पार्टी 90 साल के एक राष्ट्रीय आंदोलन का फल और कार्यकर्ताओं के खून पसीने से बनी पार्टी है। उन्होंने ने हाड़ौती के कार्यकर्ताओं की हो रही उपेक्षा को लेकर कहा कि जिस कोटा के कार्यकर्ताओं ने राजस्थान भर में झंडा लहराया था आज उन जमीनी कार्यकर्ताओं की ऐसी गत पीड़ा देती है। उन्होंने सरकार पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और राजस्थानी स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
प्रदेश के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने प्रदेश सरकार में मंत्रियों की हालत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मंत्रियों के उपर सुपर कैबिनेट बना रखी है। इस दौरान उन्होंने इशारों इशारों में उनकी हालत पर चुटकी लेते हुए कहा कि प्रदेश के मंत्री तन्मय से मिलकर ही मनमय हो जाते हैं, सारा राज तन्मय तक केंद्रीत हो गया है।
तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस प्रकार के काम किए जो हमारी पार्टी की व्यवस्था के खिलाफ है। हम गौरक्षा की बात करते हैं और 27 हजार गायें जयपुर की हिंगौनिया गौशाला में सरकार की नाक के नीचे मर गई। हमने संघर्ष किया, तब कहीं जाकर सरकार ने कार्रवाई की। मगर तब भी सरकार कुछ नहीं कर पाई तो गौशाला ही अक्षय पात्र को संभला दी।
वहीं जयपुर में 200 मंदिरों का तोड़ा गया, झालावाड़ की स्थिति आपने भी देखी है। तिवाड़ी पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि तिवाड़ी वो कर रहा है जो पिछले 50 सालों में स्व. भैरोंसिंह और दिग्गजों से जो उसने सीखा है।
उन्होंने कहा कि हमें पैसे के मोल पर खरीदी बेची जाने वाली राजनीति नहीं चाहिए। उन्होंने एक शेर का जिक्र करते हुए कहा कि जब तारिफ हो रही थी गजरे के फूलों की तो खामोश बैठे रहे, और जब जख्मे जिगर हमने दिखाया तो बुरा मान गए।
तिवाड़ी ने गुर्जर आरक्षण के बारे में कहा कि प्रदेश सरकार ने गुर्जरों के साथ अन्याय किया है। अगर समय रहते गुर्जर आरक्षण को नौंवी अनुसूची में शामिल कर लिया जाता तो हाईकोर्ट इस कानून को रद्द न करता। इसके पूरे घटनाक्रम के चलते गुर्जरों को अब तक जितनी नौकरी पहले मिल चुकी थी उन्हें हटाने और उनके 1 प्रतिशत आरक्षण को भी समाप्त कर दिया। अब वे भी उसी श्रेणी में खड़े हैं जिसमें ब्राह्मण और राजपूत खड़ें हैं।
तिवाड़ी ने इसे सामाजिक समरसता बिगाड़ने का काम बताया उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, विशेष ओबीसी का आरक्षण जारी रहते हुए वंचित वर्गों ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत, कायस्थ व ओबीसी के अलावा मुसलमानों को भी 14 प्रतिशत का आरक्षण मिले। ताकी आरक्षण सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय बन जाए, और सामाजिक समरसता बनी रहे।
|