News NAZAR Hindi News

मोदी का आभामंडल कम हुआ, बीजेपी की चिंता बढ़ी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द लोगों द्वारा उनके किए जा रहे ‘महिमामंडन’ का पूरी तरह से पर्दाफाश हो गया है। खुद मोदी का भी आभामंडल कम हुआ है। पार्टी विश्लेषकों ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भेजे पत्र में यह खुलासा किया है। इसके बाद पार्टी की चिंता बढ़ गई है।

पत्र में बताया कि भाजपा 2014 से 2017 के बीच एक राज्य के बाद दूसरे राज्य के विधानसभा चुनावों में सरकार विरोधी भावनाओं के बल पर फलती-फूलती रही। भाजपा ने कांग्रेस से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को छीना। इसके साथ ही सपा-बसपा से उत्तर प्रदेश भी छीना मगर वह गुजरात में बड़ी कठिनाई से अपनी सत्ता को बरकरार रख सकी। जिससे स्पष्ट है कि 2018 के आते ही मोदी का ‘मैजिक’ कम होना शुरू हो गया।

पिछले 4 वर्षों के दौरान 24 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा मोदी के नेतृत्व में कांग्रेस और इसके सहयोगी दलों से केवल 12 राज्यों में ही जीत हासिल कर सकी। भाजपा त्रिपुरा में माकपा के माणिक सरकार को हरा कर भी सफल हुई थी। यहां तक तो अच्छा था। गोवा में चुनाव में हार पार्टी के लिए पहले खतरे का संकेत था क्योंकि भाजपा 2017 में स्थिति को समझने में नाकाम रही। वह चुनावों के दौरान अपनी सत्ता बनाए रखने में विफल रही। राज्य में भाजपा के खिलाफ भारी सरकार विरोधी माहौल था और 40 सदस्यीय विधानसभा में भगवा पार्टी केवल 13 सीटें ही जीत पाई।

कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने दूसरी पार्टियों को मिलाकर यहां अपनी सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की। कांग्रेस 4 विधायक अपने साथ जोडऩे में विफल रही। ऐसी ही स्थिति मणिपुर में उसके समक्ष आई जहां भाजपा को मतदाताओं ने विजयी फतवा नहीं दिया मगर वह राज्यपाल नजमा हेप्तुल्ला की मदद से सरकार बनाने में कामयाब हुई। 2015 के चुनावों के दौरान दिल्ली और बिहार में भाजपा की हार बहुत बड़ी थी। गोवा और मणिपुर में पराजित होने के बावजूद पार्टी वहां सरकारें बनाने में कामयाब रही। इस तरह मोदी-शाह की जोड़ी अपना ‘करिश्मा’ बनाए रख सकी मगर 2018 के आते ही भाजपा को एक के बाद दूसरा झटका लगा।