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पूनिया को भगाओ, भाजपा को बचाओ : एक विज्ञापन से आया भूचाल

सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों राज्य में सांत्वना यात्रा पर हैं। गत दिवस वह अजमेर जिले के दौरे पर थीं। उनके स्वागत में एक भाजपा नेता ने ऐसा विज्ञापन प्रकाशित करा दिया जिससे पार्टी में अंदरुनी विवाद गहरा गया है। साथ ही वसुंधरा की यात्रा भी विवाद में आ गई है।
दरअसल, भाजपा में पिछले 2 साल से वसुंधरा हाशिए पर हैं। उनकी जगह आलाकमान ने सतीश पूनिया को राजस्थान की कमान सौंप रखी है।
गत वर्ष वसुंधरा की पुत्रवधू निहारिका की तबीयत अत्यधिक खराब होने के कारण वह सार्वजनिक जीवन से अलग-थलग रहीं। इसी बीच भाजपा ने पूनिया को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इससे कांग्रेसी भी उत्साहित थे, क्योंकि मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरा यकीन था कि वसुंधरा की गैरमौजूदगी में कांग्रेस की राह आसान होगी और वह दुबारा आसानी से सरकार बना लेंगे।
अब दो साल बाद अचानक वसुंधरा निजी तौर पर राज्य के दौरे पर निकल पड़ीं। उनका जनाधार देख जहां कांग्रेसियों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं, वहीं खुद भाजपा में भी विरोधी गुट के होश फाख्ता हैं।
हालांकि वसुंधरा का कहना है कि यह पार्टी की नहीं बल्कि उनकी निजी यात्रा है। वह पिछले दो साल में कोरोना के कारण काल का ग्रास बने पार्टी नेताओं एवं उनके परिजन सहित अन्य लोगों को श्रद्धांजलि-सांत्वना देने के लिए यह यात्रा कर रही हैं।
जबकि हकीकत यह है कि वसुंधरा अपना जनाधार टटोलने और शक्ति प्रदर्शन करने के लिए राज्य के दौरे पर हैं।

यह आया ट्विस्ट

अजमेर में शनिवार को सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन गणेश चौधरी ने समाचार पत्र में विज्ञापन दिया जिसमें ‘पूनिया को भगाओ-भाजपा को बचाओ’ नारा दिया है। साथ ही आलाकमान से वसुंधरा को फ्री हैंड देने की मांग की गई है। इस विज्ञापन से पूनिया समेत आलाकमान की त्यौरियां चढ़ी हुई है। पार्टी ने यह विज्ञापन देने वाले गणेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
 उधर, खुद वसुंधरा भी इस विज्ञापन को लेकर आश्चर्य चकित हैं। पार्टी में यह पहला मौका है जब मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ इस तरह का विज्ञापन छपा है। अपना दामन बचाने के लिए खुद वसुंधरा ने भी विज्ञापन देने वाले गणेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर दी है।
अब सवाल यह भी है कि आखिर गणेश चौधरी को इस तरह का विज्ञापन देने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या उनका यह कदम प्रायोजित था? क्या वसुंधरा को विवाद में घसीटते के लिए यह विज्ञापन दिया गया? बहरहाल सवाल कई हैं और उनके जवाब राजनीतिक रणनीति में छिपे हैं।

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