सिरोही/जयपुर। राजस्थान में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने आदर्श कॉपरेटिव सोसासटी के ग्यारह पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है।
एसओजी के पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र यादव ने आज बताया कि आदर्श कॉपरेटिव सोसायटी मामले में आदर्श कॉपरेटिव सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र मोदी एवं कमलेश चौधरी, अध्यक्ष ईश्वर सिंह, पूर्व प्रबंध निदेशक प्रियंका मोदी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वैभव लोढ़ा, मुख्य वित्तीय अधिकारी समीर मोदी, सहायक प्रबंध निदेशक रोहित मोदी, पूर्व प्रबंधक निदेशक ललित राजपोहित, भारत मोदी, भारत दास और विवेक राजपोहित को गिरफ्तार किया है।
उन्होंने बताया कि पदाधिकारियों ने करीब 16 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करके निवेशकों के करीब एक हजार करोड़ आपस में बांट लिए। आदर्श कॉपरेटिव सोसायटी के देश में 800 से ज्यादा शाखाओं में 10 हजार से ज्यादा निवेशक है। यादव ने बताया कि राजस्थान की 500 से ज्यादा शाखाओं में छह लाख से अधिक निवेशकों ने 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋण ले रखा है।
उन्होंने बताया कि अगस्त 2018 में एसओजी को घोटाले की सूचना मिली थी। मुकेश मोदी की ओर से स्थापित आदर्श केडिट को-आपरेटिव सोसायटी लिमिटेड अहमदाबाद के करोड़ों रुपए के घोटाला सामने आने पर एसओजी ने मुकेश मोदी को पूर्व में गिरफ्तार किया था।
यादव ने बताया कि आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के पास अब बीस लाख निवेशकों को चुकाने के लिए कुछ भी नहीं है। सोसायटी के पदाधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से निवेशकों की जमा राशि फर्जी कंपनियों को ऋण के रूप में दे दी। 200 से भी ज्यादा इन फर्जी कंपनियों के पदाधिकारी भी सोसायटी के मालिकों के रिश्तेदार ही थे।
उन्होंने बताया कि आज सुबह सिरोही से भरत मोदी, वीरेन्द्र मोदी, ईश्वर सिंह और भरत वैष्णव को गिरफ्तार किया गया है। मुकेश मोदी, राहुल मोदी आदि पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। अब तक इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी की शाखाएं खोल करके बीस लाख लोगों को सदस्य बनाया गया। सदस्यों ने कोई 14 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा करवाई। लेकिन सोसायटी के पदाधिकारियों ने जमा राशि को फर्जी कंपनियों में निवेश कर दिया। एक हजार करोड़ों रुपए की राशि सोसायटी के पदाधिकारियों ने आपस में बांट ली। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग भी इस मामले की जांच कर रहा है।
यादव ने बताया कि एसओजी की जांच में पता चला है कि अब सोसायटी के पदाधिकारियों के पास निवेशकों को चुकाने के लिए न तो सम्पत्ति है और न ही नकद राशि। उन्होंने बताया कि सोसायटी के नियमों की अनदेखी करके पदाधिकारियों ने निवेशकों की जमा राशि इधर-उधर कर दी। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय भी जांच कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों ने नियमों को तोड़कर निवेशकों की राशि फर्जी कंपनियों में निवेश कर दी। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई। पीएमओ के दखल के बाद ही प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग आदि सक्रिय हुए और एक के बाद एक गिरफ्तारियां की गई।