जयपुर। जयपुर साहित्य सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पहली बार स्थान मिला। सम्मेलन में शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य श्रोताओं रूबरू हुए और विभिन्न विषयों पर संघ का पक्ष रखा। वैद्य ने कहा कि देश में धीरे धीरे आरक्षण खत्म होना चाहिए। इस बयान के बाद देशभर से तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद देर रात होसबोले ने सफाई दी की संघ आरक्षण के खिलाफ नहीं है।
क्या मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए, क्या इससे उनका सोशल लेवल बढ़ेगा इस प्रश्न के जवाब में डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि आरक्षण का विषय भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संदर्भ में आया था। इसे अलग तरह से देखा जाना चाहिए। इस वर्ग ने लंबे समय तक अत्याचार सहे हैं। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया था।
इसलिए इन्हें सबके साथ लाने के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि किसी भी राष्ट्र में आरक्षण की व्यवस्था हमेशा रहे, यह भी ठीक नहीं है। बाकी सबको अवसर अधिक दिए जाए, शिक्षा मिले। इसके आगे आरक्षण देना अलगाववाद को बढ़ावा देना है। जो पिछड़े है उन्हें अच्छी शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि इन्हें आगे बढ़ने का असवर मिले। इन कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए कि आखिर आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में गरीब और पिछड़े क्यों है। इसके लिए पॉलिटिकल दृष्टिकोण से नहीं, राष्ट्रीय विचार से सोचना चाहिए।
उन्होंने अल्पसंख्यकों के पिछड़े होने के सवाल पर कहा है कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में सबसे ज्यादा मुस्लिम पिछड़े हुए हैं। लेकिन जिस राज्य को असहिष्णुता कहा जाता है वहां के मुस्लिमों की स्थिति सबसे ज्यादा अच्छी है। धार्मिक शिक्षा से स्थिति ठीक नहीं हो सकती है। इसके लिए भौतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए। तभी मुस्लिमों का विकास होगा।
डॉ. वैद्य ने कहा कि हिन्दुत्व को लेकर संघ की बड़ी व्यापक सोच है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हिन्दुत्व के बारे में स्पष्ट कहा है। हिन्दुत्व जीवन शैली है। इसका आधार आध्यात्म है। इसे अंग्रेजी में हिन्दुज्म करना गलत है। भारतीय विचार चैतन्य एवं सर्व व्यापक है। विविधता में एकता का आधार आध्यात्म है। हिन्दुत्व ही ऐसा मानता है कि सच एक है और इस तक पहुंचने के रास्ते अलग है।
पश्चिम धर्म के लिए रिलिजन शब्द का प्रयोग किया होता है, जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में धर्म की समूची व्याख्या नहीं कर सकता है। इसी प्रकार नेशनलिज्म और राष्ट्रवाद में अंतर है।
सेकुलरिज्म के सवाल पर मनमोहन वैद्य ने कहा यह भारत के बाहर की अवधारणा है। भारत हमेशा से ही सेकुलरिज्म रहा है। यहां के राजा ने कभी मजहब के आधार पर भेदभाव नहीं किया। यह तो हिंदुत्व की परंपरा में ही है। यह शब्द संविधानकर्ताओं को पता था। इसलिए इस शब्द को संविधान में नहीं जोड़ा गया। 1976 में आपातकाल में यह शब्द लाया गया। बाद में क्यों आया, किसी को पता नहीं। किसी ने मांग नहीं की थी। विपक्षी लोग जेल में थे। सो कॉल्ड मायोनेरिटी को पूरे अधिकार हैं। इसकी जरूरत नहीं थी। कोई डिस्कस का शब्द नहीं था। इसे लेकर राजनीति चल रही है। एक विशेष वर्ग को ज्यादा प्रोत्साहन देना, इस भाव से इस शब्द को लाया जा रहा है। इससे समाज में भेद बढ़ रहा है। समाज एक नहीं हो रहा है। ऐसे में इसके लिए फिर से विचार करना चाहिए।
जाति और जन्म आधारित असमानता समाप्त होने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए- आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आरक्षण पर उठे कथित विवाद के बाद आरक्षण को लेकर संघ का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि संघ का स्पष्ट मत है कि जब तक देश में जाति और जन्म आधारित असमानता समाप्त न हो तब आरक्षण जारी रहना चाहिए। जयपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में होसबोले ने कहा कि उन्होंने कहा कि मीडिया में आरक्षण पर संघ स्टेंड को तोड़- मरोड़कर पेश किया जा रहा है। आरक्षण विषय पर विवाद खड़ा करने का प्रयास हुआ है संघ ने हमेशा यह प्रयास किए हैं कि संविधान प्रदत्त आरक्षण जारी रहना चाहिए। संविधान में एसटी, एससी, ओबीसी को आरक्षण प्रावधान है। इन सभी वर्गों को आरक्षण का पूरा पूरा लाभ मिले इसके लिए संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने 1991 में प्रस्ताव पास किया था। इसमें स्पष्ट कहा गया था कि एसटी, एससी और ओबीसी को आरक्षण के प्रावधान का पूरा लाभ मिले इसके प्रयास होते रहना चाहिए।