कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से आयोजित कार्यक्रम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोलकाता पहुंच गए हैं। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार वालों ने आरएसएस की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस का कहना है कि संघ सावरकर को मानता है, जिनके विचार नेताजी से बिल्कुल अलग थे।
एक कार्यक्रम के दौरान चंद्र कुमार बोस ने कहा कि आरएसएस हिंदुत्व को बढ़ावा देता है, नेताजी सच्चे हिंदू थे, वह मां काली के भक्त थे। वह देर रात में दक्षिणेश्वर मंदिर जाते थे और मां काली की पूजा करते थे। लेकिन जब राजनीति की बात आती थी तो वह देश की आजादी के लिए लड़ते थे, उन्होंने कभी भी धर्म की राजनीति नहीं की।
अगर आप नेताजी की विचारधारा का विरोध करते हैं तो उनकी जयंती को मनाने का कोई महत्व नहीं है। आखिर आप देश को क्या संदेश देना चाहते हैं। जो नेताजी के जन्मदिन को मनाता है, वह देश को जोड़ने की बात करता है, वह सभी समुदाय के लोगों को भारतीय के तौर पर जोड़ने का काम करता है। नेताजी के विचार में भारतीयों में कोई भेद नहीं था।
टीएमसी राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने भी आरएसएस के कार्यक्रम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि नेता जी हमारे राष्ट्रीय नेता हैं, उनका सबसे क्रांतिकारी नेता सावरकर है। लेकिन उन्होंने भारतीयों का साथ छोड़ दिया था क्योंकि वह अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुक गए थे।
आखिर कैसे संघ नेता जी को स्वीकार कर सकता है। संघ तो बिल्कुल भी सेक्युलर नहीं है। बता दें कि 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक में हुआ था। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया था।