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निर्भया का दोषी रिहा

 

 

नई दिल्ली। 2012 में दिल्ली के बसंत विहार में एक चलती बस में मेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बालिग हो चुके नाबालिग दोषी को रविवार को रिहा कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार दिल्ली के मजनू का टीला स्थित सुधार गृह में तीन साल रखने के बाद नाबालिग दोषी को कानून के मुताबिक रिहा कर एक अज्ञात जगह पर रखा गया है।
इससे पहले दोषी  की रिहाई को रोकने के हरसंभव प्रयास में जुटी दिल्‍ली महिला आयोग ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को एक चिट्ठी लिखने के साथ-साथ शनिवार देर रात उच्चतम न्यायालय में रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई सोमवार को होगी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग की रिहाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।
तीन साल तक सुधार गृह में रहे इस नाबालिग आरोपी ने एक बार भी अपना गुनाह नहीं कबूला। वह तीन साल तक पर चुप्पी साधे बैठा रहा। कई काउंसलर्स उसके पास आए, लेकिन कोई भी उसकी चुप्पी नहीं तोड़ पाया। मेंटल हैल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि इस गंभीर अपराध के बाद आरोपी का चुप रहना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपी फिर से अपराध कर सकते हैं। ऐसे में उसे अपने गांव नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि वहां उसकी काउंसलिंग नहीं हो पाएगी, जो कि खतरनाक है।
सूत्रों के मुताबिक आरोपी नाबालिग अक्सर चुप रहता था। वह न ही किसी के साथ बात करता था और न ही सुधार गृह के बाकी लड़कों से घुलना-मिलना पसंद करता था। उसके चेहरे पर किसी तरह के पछतावे के भाव भी नजर नहीं आते थे। उसकी मां जरूर उससे मिलने आती थी। एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि इस दोषी पर तीन से पांच साल तक नजर रखनी होगी, ताकि वह खुद के लिए या फिर समाज के लिए खतरा न बन जाए।