हम पहले बात करेंगे सूर्य ग्रहण की। पिछले कुछ माह से कोरोना महामारी ने पृथ्वी पर एक अजीब सी उथल-पुथल मचा रखी है। इस खतरनाक वायरस के आगे दुनिया नतमस्तक नजर आ रही है। डरा, सहमा सा मनुष्य इस महामारी के जल्द खत्म होने की उम्मीद लगाए बैठा है। 21 जून को पड़ने वाले सूर्यग्रहण का महत्व तब और बढ़ जाता है जब वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों का यह दावा करना कि यह महामारी पर अंकुश लगाने के लिए उपयोगी रहने वाला है। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण को लेकर खगोलशास्त्रियों के साथ लोगों में भी इसको लेकर हमेशा से ही उत्सुकता बनी रही है।
सूर्य ग्रहण का लगभग 6 घंटे रहेगा प्रभाव
26 दिसंबर 2019 के बाद भारत में करीब 6 महीने के बाद ही लंबा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इस सूर्य ग्रहण का व्यापक असर देश और दुनिया पर दिखेगा। कई ज्योतिषियों का मानना है कि 2019 के ग्रहण से कोरोना महामारी का विस्तार हुआ और 2020 के ग्रहण से इसका समापन हो जाएगा। यह सूर्य ग्रहण छह घंटे का होगा। भारतीय समयानुसार यह सूर्य ग्रहण सुबह 9:15 पर आरंभ होगा और लगभग तीन बजे समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण दोपहर 12:10 बजे अपने चरम पर होगा। ग्रहण के 6 घंटे के दौरान औ पृथ्वी पर रात जैसा अंधेरा छाया रहेगा। आपको बता दें कि भारत में सूर्य ग्रहण का आरंभऔर समापन अलग-अलग समय के अनुसार होगा। इसके पहले शनिवार 20 जून की रात करीब 10.33 बजे से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा तथा इसमें सूर्य का किनारे का गोलाकर भाग ही दिखाई देगा। ये ग्रहण रोमांचक होगा और ज्योतिषियों के मुताबिक इस ग्रहण का विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।
भारत की पहल से आज योग दिवस विश्व भर में मनाया जाता है
अब बात करते हैं विश्व योग दिवस की। बता दें योग मूलतः भारतीय दर्शन है, भारत की ही पहल से योग दिवस पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे मंजूरी देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की आधिकारिक घोषणा की थी। तभी से पीएम मोदी योग दिवस पर देश के कई शहरों में लोगों के बीच जाकर योगासन करते रहे हैं लेकिन इस बार महामारी के चलते प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली अपने सरकारी निवास पर रहकर ही योग करेंगे और देशवासियों को अच्छी सेहत के लिए जागरूक भी करेंगे।
योग जिसका उद्देश्य मनुष्य को वह मार्ग दिखाना है जिस पर चलकर वह जीवन के परम लक्ष्य की प्राप्ति कर सके। कहा जाता है मैडिटेशन के माध्यम से कोई भी बहुत ही सरलता से व्यक्ति आत्म-साक्षरता पाकर परमात्मा से जुड़ सकता है। इतना ही नहीं योग मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना को जागृत भी करने की क्षमता रखता है। आज की भागदौड़ भरे जीवन के बाद आज योग को लेकर लोग स्वयं जागरूक होते जा रहे हैं। यही नहीं कोरोना महामारी के बाद आज योग की महत्वता और भी बढ़ गई है, तो आइए इस योग दिवस पर अच्छी सेहत के लिए कुछ समय निकालें और इसे हर दिन की आदतों में शुमार करें।
आओ हम भी निभाएं अपना फर्ज और पिता को दे खुशियां
अब बात करतेे हैं फादर्स डेे की। पिता के बिना संसार भर की खुशियां अधूरी हैं । बच्चों की जरूरतों को पूरा करते-करते हैं पिता की उम्र कब गुजर जाती है मालूम ही नहीं पड़ता है। पिता का प्यार और आशीर्वाद बच्चों के लिए ताउम्र बना रहता है। पिता कठिन से कठिन मुश्किलों से गुजरते हुए भी अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखते हैं । हमारे जीवन में पिता का महत्व बेहद खास होता है। मां तो हमेशा अपने प्यार को दर्शा देती है, लेकिन ऊपर से सख्त रहने वाले पिता बहुत कम ही मौकों पर अपना प्यार दिखाते हैं। पिता हमारे भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अपने सपनों और ख्वाहिशों को भी भूल जाते हैं। पिता के त्याग और बलिदान को देखते हुए पूरी दुनिया भर में फादर्स डे मनाया जाता है। आओ इस फादर्स डे पर हम भी अपनी जिम्मेदारी निभाए अपने पिता को वह खुशियां लौट आए, जिसकी उन्हें तलाश है।
भारत सहित कई देशों में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल 21 जून को फादर्स डे मनाया जाएगा। विश्व के कई देशों में अलग-अलग तारीख व दिन पर इसे मनाया जाता है। यहां आपको यह भी बता दें कि फादर्स डे मनाने की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका से हुई थी। पहली बार फादर्स डे 19 जून,1909 को मनाया गया था। माना जाता है वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने पिता की स्मृति में इस दिन की शुरुआत की थी। इसके बाद 1916 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इस खास दिन को मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कुलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित किया। 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने इसे जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला लिया था।