नई दिल्ली। देश के लिए कलंक बने निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चारों आरोपियों को फांसी की सजा पर मोहर लगा दी है।
इससे पहले दिल्ली हाइकोर्ट ने भी उन्हें फांसी सुनाई थी, इसे चैलेंज करते हुए आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
ये हैं दरिंदे
1.रामसिंह 2.अक्षय ठाकुर 3.विनय शर्मा 4.पवन गुप्ता 5.मुकेश सिंह 6.नाबालिग
इनमें रामसिंह जेल में सुसाइड कर चुका है। नाबालिग आरोपी 3 साल की सजा काटकर रिहा हो चुका है। बाकी चारों दोषियों को फांसी तय है, अगर राष्ट्रपति उन्हें माफ न करें।
यह हुआ आज
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने यह अहम फैसला सर्वसम्मति से सुनाया। कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि निर्भया कांड सदमे की सुनामी थी। तीनों जजों ने जैसे ही पूरा फैसला सुनाया, लोगों ने कोर्ट में तालियां बजाईं। निर्भया के माता-पिता ने इसे पूरे देश की जीत बताया।
क्या है निर्भया कांड
दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात तकरीबन नौ बजे पैरा मेडिकल छात्रा अपने दोस्त के साथ दक्षिणी दिल्ली के मुनीरका इलाके में अपने घर पालम विहार जाने के लिए इंतजार कर रही थी। साढ़े नौ बजे के करीब एक सफेद बस वहां रुकी। उसमें से नाबालिग (तब) ने उनसे बस में चढ़ने का आग्रह किया।
इस पर छात्रा और उसका दोस्त बस में चढ़ गए। बस में ड्राइवर समेत छह लोग पहले से मौजूद थे। उन्होंने चलती बस में छात्रा के साथ गैंगरेप किया और उसके बाद दोनों को बुरी तरह से पीटा और महिपालपुर फ्लाईओवर के पास उनको फेंक कर चले गए।
एक पीसीआर वैन ने उनको घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया। इस वारदात से देशभर में आक्रोश भड़क उठा। लोगों ने छात्रा को निर्भया नाम दिया और उसकी जिंदगी की दुआ मांगने के साथ ही आरोपियों के लिए फांसी मांगने लगे।
इधर तबीयत ज्यादा खराब होने पर सरकार ने निर्भया को बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा, जहां उसकी मौत हो गई। वारदात के 11 दिनों के बाद निर्भया ने दम तोड़ दिया।