80, 90 के दशक में मुंबई में अंडरवर्ल्ड चरम पर था । हाजी मस्तान के निधन के बाद मुंबई में दाऊद इब्राहिम, अरुण गवली, छोटा राजन और भाई ठाकुर आदि की गैंगवार आए दिन सड़कों पर देखने को मिल रही थी, इससे महाराष्ट्र की विशेष तौर पर मुंबई की राजनीति, उद्योग जगत, फिल्म इंडस्ट्रीज भी भयग्रस्त हो चुकी थी। फिरौती, धमकी, चौथ वसूली आदि से परेशान महाराष्ट्र सरकार ने अंडरवर्ल्ड और गैंगस्टर को खत्म करने के लिए एक एनकाउंटर नीति बनाई ।
इस नीति को अमली जामा आगरा, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी प्रदीप शर्मा और कर्नाटक के सब इंस्पेक्टर दया नायक ने पहनाया ।
100 से ज्यादा गैंगस्टरों को ढेर करने पर प्रदीप शर्मा मशहूर तो हुए लेकिन विवादों में भी पड़ गए । चाहे दाऊद इब्राहिम का गिरोह हो या अरुण गवली या फिर लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी, प्रदीप शर्मा की रिवॉल्वर ने किसी को नहीं बख्शा ।
कुल 113 कथित अपराधी प्रदीप शर्मा की गोलियों का निशाना बने । उन पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकीं हैं ।