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हिमाचल में पहाड़ों पर बर्फबारी, दर्जनों झीलें जमीं

मनाली। हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी के बाद पारा शून्य के नीचे पहुंच गया है। तापमान में गिरावट के कारण लाहौल स्पीति, कुल्लू-किन्नौर और चम्बा जिलों के पहाड़ों की झीलें जमना शुरू हो गई हैं। 12 से 17 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सभी झीलें व झरने जमने लगे हैं। लाहौल घाटी की 14,091 फुट ऊंची ढंखर झील सहित देश व दुनिया के ट्रैकरों की पहली पसंद 14,190 फुट ऊंची चन्द्रताल झील, लेह मार्ग पर स्थित 15,840 फुट ऊंची सूरजताल झील और पट्टन घाटी की 14,000 हजार फुट ऊंची नीलकंठ झील भी तापमान लुढ़कने से जमने लगी है। रोहतांग के समीप 14,290 फुट दशोहर झील, 14,100 फुट ऊंची भृगु झील भी जम गई है।

हालांकि पिछले साल की तुलना में पहाड़ों पर अभी भारी मात्रा में बर्फ  नहीं गिरी है लेकिन तापमान लुढ़कने से झीलें जमने लगी हैं। तापमान के लुढ़कते ही लाहौल घाटी में सर्दियों का आगाज भी हो गया है। दूसरी ओर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोज हो रही बर्फबारी से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग भी पारा गिरते ही ठंड से मार्ग पत्थर होने लगा है। यह मार्ग 15 अक्तूबर को प्रशासनिक तौर पर बंद हो गया था लेकिन मौसम साफ  रहने से बारालाचा दर्रे सहित शिंकुला व कुंजम दर्रे में वाहनों की आवाजाही सुचारू है। बढ़ती ठंड को देखते हुए बीआरओ ने भी सरचू, भरतपुर सिटी, बारालाचा, जिंगजिंगबार और पटसेउ से अपना काम समेटना शुरू कर दिया है।

लाहौल के ट्रैकरों बीरू, रिंग्जिन, सोनम और दोरजे ने बताया कि पारा माइनस में जाने से घाटी की झीलें जम गई हैं। घाटी में भी पारा माइनस पर लुढ़कने लगा है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी बीसी नेगी ने कहा कि टै्रकिंग एजैंसियों को हिदायतें जारी कर दी गई हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने वाले ट्रैकरों का पंजीकरण, सही मार्गदर्शन करने और ठंड से बचने के लिए जरूरी सामान आदि साथ रखने को कहा है। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि बर्फबारी होने से लेह मार्ग जम गया है।

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