नई दिल्ली/सूरत। राजद्रोह एवं हिंसा के मामले में सूरत सेंट्रल जेल में बंद पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल शुक्रवार को रिहा हो गए। हार्दिक की रिहाई के मद्देनजर सूरत में धारा 144 लगा दी गई थी, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो। हार्दिक को 48 घंटे के भीतर छह महीने के लिए गुजरात छोड़कर जाना होगा। 22 वर्षीय हार्दिक के बाहर आते ही पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के लोगों ने एक बड़ा रोड शो निकाला। हार्दिक पटेल इस समिति के संयोजक हैं।
9 महीने बाद जेल से रिहा हुए हार्दिक पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। हार्दिक ने कहा, “ हमें 56 इंच का सीना नहीं बल्कि अधिकार चाहिए। जिसको लेकर अब मैं पूरे देश में घूम-घूमकर कुर्मी समाज को एकजुट करूंगा ”।
हालांकि हार्दिक को अगले छह महीने गुजरात के बाहर बिताने होंगे। हाईकोर्ट ने हार्दिक को देशद्रोह के दो मामलों में इसी शर्त पर जमानत दी थी।
हार्दिक पर राजद्रोह के दो मामले चल रहे हैं। पहला सूरत में और दूसरा अहमदाबाद में। सूरत वाले मामले में उन पर एक व्यक्ति को कथित तौर पर पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए उकसाने का आरोप है। अहमदाबाद मामले में हार्दिक के साथियों पर लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा करने के लिए उकसाने का आरोप है। हार्दिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कथित तौर पर उसके साथियों ने लोगों को फोन करके हिंसा के आदेश दिये थे। इन मामलों में हार्दिक पर राजद्रोह की धारायें लगाई गई हैं।
हार्दिक ने आरक्षण के लिए पाटीदारों के आंदोलन का नेतृत्व किया था। आंदोलन ने बाद में हिंसक रूप ले लिया था। सत्तारूढ़ राज्य सरकार के खिलाफ पाटीदार (पटेल) समाज के हिंसक आंदोलन की अगुवाई के लिए हार्दिक को गिरफ्तार किया गया था और बाद में सूरत जेल में रखा गया।