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हजारों करोड़ रुपए का ऋण हड़पने का एक और मामला उजागर

नई दिल्ली। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल में वित्तीय संस्थानों से हज़ारों करोड़ रुपए का ऋण लेकर डकार जाने का एक और सनसनीखेज़ मामला सामने आया है जिसमें मात्र 37 करोड़ रुपए की पूंजी वाली एक संदिग्ध कंपनी को बिना जांच किए 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण दे दिया गया और बड़ी आसानी से उसे गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया गया।

यह मामला है कि तमिलनाडु की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिसमें आरके पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड तथा एक मलेशियाई कंपनी मुदाजया कॉरपोरेशन बेरहाड मलेशिया की हिस्सेदारी है। इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में कोयला आधारित तापीय विद्युत परियोजना स्थापित करने का ठेका हासिल किया लेकिन उसकी अब तक एक ही इकाई आंशिक रूप से शुरू कर पाई।

विभिन्न आर्थिक घोटालों की जांच से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि किसी राजनीतिक नेता से जुड़ी इस बेनामी कंपनी की अंशधारक आर के पावरजेन लिमिटेड की शेयर पूंजी 37 करोड़ रुपए एवं चुकता पूंजी करीब 19 करोड़ रुपए है लेकिन आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड ने मलेशियाई हिस्सेदारी के माध्यम से दो हजार करोड़ रुपए की पूंजी संदिग्ध स्रोतों के माध्यम से संयुक्त उपक्रम कंपनी में दिखाई और बाद में इस संदिग्ध पूंजी को दिखा कर कंपनी ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) से दस हजार करोड़ रुपए की भारी ऋण लिया जबकि उसके पास 25 प्रतिशत इक्विटी की पूंजी भी नहीं थी।

छत्तीसगढ़ में ताप विद्युत गृह बनाने का ठेका लेने से पहले न तो इस कंपनी को और न ही उसकी मलेशियाई अंशधारक कंपनी को बिजली बनाने का कोई अनुभव था। मुदाजया कॉरपोरेशन बेरहाड मलेशिया एक निर्माण कंपनी मात्र है। सूत्रों के अनुसार इस कंपनी ने सबसे पहले 5000 करोड़ रुपए भारी ऋण लिया पर ताप विद्युत गृह नहीं बनाया और जब ब्याज चुकाने की बारी आयी तो बैंकों से दो हजार करोड़ का ऋण लिया और उससे ब्याज चुकता किया और बाकी की रकम डकार ली। ऐसा कई बार किया गया। ये सारा लेनदेन वर्ष 2006 से 2015 के बीच का है।

सूत्रों ने बताया कि 2015-16 के बाद फर्जी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए शुरू हुए अभियान में हाल ही में इस संदिग्ध कंपनी के रहस्यमय कारोबार का खुलासा हुआ है। कंपनी ने चीन से कबाड़ वाले टरबाइन मंगा कर ताप विद्युत संयंत्र की एक यूनिट स्थापित करने का दावा किया।

कंपनी रजिस्ट्रार के डाटा से यह भी पता चला है कि आर के एम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई के जिस पते पर पंजीकृत है, उसी पते पर नौ अन्य कंपनियां पंजीकृत हैं। इस संयंत्र में 360 मेगावाट की चार इकाइयां लगाने की योजना बताई गई थी।

सूत्रों के अनुसार मात्र 37 करोड़ रुपए की पूंजी वाली कंपनी फर्जीवाड़ा करके पीएफसी और इंडियन बैंक से 11 हजार 350 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण हासिल कर ले और बाद में इसे एनपीए की श्रेणी में डाल दिया जाए, यह सीधा सीधा जनता की गाढ़ी कमाई को हड़पने का मामला है। सूत्रों का कहना है कि जांच में इस बात का पता लगाने की ज़रूरत है कि आखिर आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड को ऋण देने से पहले उसकी पूंजी की जांच क्यों नहीं की गई और इसके पीछे किसका हाथ है।