श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के मानवाधिकार आयोग ने कथित पत्थरबाज फारुक अहमद डार को सेना की जीप के आगे बांधने को मानवाधिकार का उल्लंघन मानते हुए उसे 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने बीजेपी-पीडीपी की साझा सरकार को यह आदेश दिया। इसके बाद एक बार फिर यह मामला गरमा गया है।
घाटी में 9 अप्रैल को पत्थरबाजों के बीच घिरे सेना के जवानों को बचाने के लिए मेजर नितिन लितुल गोगोई ने फारुक डार को जीप के बोनट से बांध दिया था।
इस पर जमकर बवाल मचा। इस घटना की वीडियो क्लिप उमर अबदुल्ला ने ट्वीट कर जांच की मांग की थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। मामले में भारतीय सेना की काफी आलोचना भी हुई जबकि कुछ लोगों ने सेना की इस कार्रवाई का समर्थन भी किया था।
बीजेपी खुलकर सेना के समर्थन में रही जबकि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मामले की जांच कराने की बात कही थी। इसी बीच 53 राष्ट्रीय राइफल के मेजर गोगोई के खिलाफ जम्मू कश्मीर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी।
एफआईआर दर्ज होने के दो दिन बाद सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी बैठाई थी, लेकिन जांच में मेजर गोगोई को क्लीन चिट मिल गई थी। इसके बाद सेना ने मेजर गोगोई को इस फैसले के लिए सम्मानित किया। मेजर गोगोई को उनकी विशिष्ट सेवा के लिए थलसेना अध्यक्ष की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया था। अब मानवाधिकार आयोग के आदेश से मामला उलटा पड़ गया है। देखना यह है कि इस आदेश पर बीजेपी और मोदी सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है।