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सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मोदी सरकार को हिलाया, बोले -लोकतंत्र खतरे में


नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के चार निवर्तमान न्यायधीशों ने शुक्रवार को मोदी सरकार को हिलाकर रख दिया है। एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय का प्रशासन सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा है।

वरिष्ठता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय में दूसरे नंबर के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर के आवास में बुलाई संवाददाता सम्मेलन में न्यायाधीशों ने कहा, “जिस बात से वे दुखी हैं उसकी जानकारी सार्वजनिक करने में उन्हें ‘कोई खुशी’ नहीं हो रही है।
दरअसल, न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे युद्ध की वजह से यह प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। जब सरकार और चीफ जस्टिस ने बात नहीं सुनी तो चारों जजों ने मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखी।

देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जे. चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर और जस्टिस रंजन गोगोई ने आज कोर्ट की प्रशासकीय खामियों से देश को आज अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। जब कोई विकल्प नहीं बचा तो हम सामने आए हैं। हमने इस मामले में चीफ जस्टिस से बात की। सीनियर जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में हैं।

जजों ने कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इस संबंधित हमने चिट्ठी भी लिखी थी लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। जजों ने वो चिट्ठी मीडिया के सामने सार्जनिक भी की। जजों ने कहा कि हम चिट्ठी इसलिए सार्वजनिक कर रहे हैं ताकि कल कोई ऐसा मत कहे कि हमने आत्मा बेच दी।”

वहीं अब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखेंगे। वहीं जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर राहुल गांधी ने कांग्रेस के सांसदों और वकीलों की बैठक  बुलाई है। जबकि पीएम मोदी ने कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के साथ बैठक बुलाई है।

उधर, रिटायर जस्‍टिस आर एस सोढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस करने को गलत करार देते हुए कहा कि चारों को घर भेज दिया जाना चाहिए।

उन्‍होंने कहा, मुझे लगता है चारों जजों पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए। इनके पास बैठकर बयानबाजी के अलावा कोई काम नहीं बचा। लोकतंत्र खतरे में है तो संसद है, पुलिस प्रशासन है। यह उनका काम नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इन चारों जजों को अब वहां बैठने का अधिकार नहीं है।