सुबोध नामदेव
नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में सींगरी नदी को पुनर्जीवन देने के लिए चलाया जा रहा प्रशासन का अभियान अवैध भू माफिया और कॉलोनाइजर्स को रास आ गया है। इस अभियान से नदी की हालत भले ही सुधरे-ना सुधरे लेकिन कॉलोनाइजर्स की बल्ले-बल्ले हो गई है। करोड़ों रुपए कीमत की मिट्टी उनकी कॉलोनी के समतलीकरण के काम आ रही है।
प्रशासन की ओर से सींगरी नदी की सफाई और गहरीकरण के लिए जो अभियान चलाया जा रहा है, उसे देखकर तो ऐसा लग रहा है कि नियमों को ताक पर रखकर सींगरी नदी को पुनर्जीवित करने का महज नाटक किया जा रहा है।
सिंगरी में जहां मिट्टी है, वहां मशीनें, ट्रैक्टर, डंपर मिट्टी का दोहन करने में जुटे हैं। लेकिन जहां मिट्टी की जगह गंदगी है, वहां किसी को खुदाई में फायदा नजर नहीं आ रहा है। जगह-जगह घास और सैवाल फैले हैं। जहां वास्तव में सफाई की जरूरत है, वहां किसी की नजर नहीं जा रहा है। सभी को जैसे मिट्टी बेचकर सोना बनाने की धुन सवार है।
मशीनों का इस्तेमाल अवैध
सिंगरी नदी की खुदाई के आदेश होते ही तमाम मशीनरी खुदाई के लिए नदी में उतार दी गई है जबकि नियमानुसार नदी-तालाब में मशीनों से खुदाई नहीं कराई जा सकती है। जेसीबी, डंपर आदि प्रतिबंधित होने के बावजूद बेधड़क खुदाई करने में जुटे हैं। यहां तक कि पोकलेन मशीन भी जुटी है। प्रदेश सरकार के आदेश के बावजूद मशीनों और डंपरों से खनन करवाना स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।
करोड़ों का चूना
नदी खुदाई की परमिशन का सुनते ही अनेक कॉलोनियों का भूमि पूजन हो गया। कई कॉलोनियों का समतलीकरण हो गया। एक कॉलोनी में लाखों रुपए की मिट्टी जा रही है। इस तरह सरकार को करोड़ों का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। पहले जिले में मिट्टी उत्खनन एवं परिवहन पर ठोस कार्रवाई की जा रही थी, अब प्रशासन की नाक के नीचे यह सब हो रहा है। मानो ठेकेदारों एवं कॉलोनाइजर्स को फायदा पहुंचाने के लिए यह अभियान रचा गया। जिला प्रशासन खुद अवैध उत्खनन का साझेदार बना नजर आ रहा है।
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