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विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में लापरवाही से बाघ की मौत


उमरिया। वन्य जीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर, जिले के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व की शान माना जाने वाला बमेरा मेल के नाम से जाना जाने वाला बी टी आर 13 अब नहीं रहा | पिछले दिनों आपसी लड़ाई में घायल हुए बाघ के पैर में चोट आ गयी जिससे गहरा घाव हो जाने से लंगडा कर चलने लगा था, लेकिन पार्क प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया जिसके चलते शिकार करने में असमर्थ हो गया और दिनों दिन उसकी हालत बिगड़ती गयी, घाव होने के काफी दिन बाद प्रबंधन घेर कर इन्क्लोजर नंबर 2 में रखा और औपचारिक रूप से इलाज करवाया लेकिन नतीजा शिफर रहा, बाघ की हालत दिनों दिन बिगड़ती गई और अंततः उसने एक सप्ताह पहले से खाना – पीना छोड़ दिया तब उसको इन्क्लोजर नंबर 4 में लाया गया |
इस बारे में जब पार्क संचालक के रमन से उनके मोबाईल नंबर 9424794330 पर बात की गयी तो उन्होंने कहा की मरने वाला है, वहीँ जब उनसे कहा गया की मीडिया को भी उसकी स्थिति से अवगत करा दीजिये तो उन्होंने कहा की आप लोग पीसीसीएफ से अनुमति ले लें हम दिखा देंगे | जिससे साफ झलकता रहा कि प्रबंधन बाघ के इलाज में कोताही बरत रहा है और अपनी कमी छिपाने के लिए मीडिया को नहीं दिखाना चाहता था | हालाँकि बाघ की मौत कल हो है लेकिन प्रबंधन किसी से बात करने को तैयार ही नही था |
गौरतलब है कि बमेरा मेल बांधवगढ़ का सबसे पुराना बाघ था और इसने कभी पर्यटकों को निराश नहीं किया, इतना ही नहीं टाइगर रिज़र्व में सबसे ज्यादा बच्चे भी इसी के हैं | सबसे खास बात तो यह है कि बांधवगढ़ के नामचीन बाघों की गिनती का अंतिम बाघ भी समाप्त हो गया, इससे पहले कनकटी बाघिन और ब्लू आई की मौत भी पार्क प्रबंधन की लापरवाही से हो चुकी है और अब यह भी नहीं रहा | इन तीनो की खासियत यह रही की पर्यटकों के सामने ये बेधड़क निकलते थे और उन्हें कैमरे में कैद करने का भी भरपूर मौक़ा देते थे | सीसीएफ शहडोल सुनील अग्रवाल की मौजूदगी में इसका पोस्ट मार्टम करवा कर अंतिम संस्कार करवा दिया गया |
गौरतलब है कि पार्क प्रबंधन अपनी कमी छिपाने के लिए मीडिया से दूरी बना कर रखता है जबकि केंद्र और प्रदेश के सरकार हर तरफ पारदर्शिता रखने की बात करती है, फिर यह नियम यहाँ क्यों नहीं लागू होता है, यदि यहाँ भी पारदर्शिता राखी जाय तो वन्य जीव प्रेमियों को इस तरह निराश नहीं होना पडेगा |