नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू हो गया है जो कि 17 मई तक जारी रहेगा। रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में अलग-अलग प्रकार से शर्तों के साथ कुछ रियायत दी गई है। देश में अभी कोरोना की स्थिति जस की तस बनी हुई है, हर रोज मामले तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। 4 मई से तीनों जोनों में मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई दुकानें खोलने के आदेश जारी किए हैं। राजस्व के लालच में ग्रीन जोन में शराब की दुकानों को खोलने का फैसला राज्य सरकारों के लिए कहीं भारी न पड़ जाए। हालांकि शराब की दुकानों को खोलने का फैसला पहले गृह मंत्रालय से जारी की गई गाइडलाइन में भी था।
अगर मान लिया जाए केंद्र सरकार ने इन मधुशालाओं की दुकानों को खोलने का आदेश जारी कर दिया था तो भी यह राज्य सरकारों को अपने यहां शराब की दुकानों को खोलने का आदेश नहीं देना चाहिए था। हम शराब पीने वालों और खरीदने वालों से क्या कोरोना वायरस से बचने के लिए जारी की गई गाइडलाइन पालन करने की कितनी उम्मीद कर सकते हैं। शराब की दुकानों को खोलने के फैसले से समाज में एक और गलत संदेश जाएगा, यही नहीं संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। यही नहीं केंद्र और राज्य सरकारों के फैसले पर सोशल मीडिया पर भी खूब जमकर हंसी उड़ाई जा रही है। शराब पर लगने वाला एक्साइज टैक्स यानी आबकारी शुल्क राज्यों के राजस्व में एक बड़ा योगदान करता है।
शराब की बिक्री राज्य सरकारों का टैक्स राजस्व आने के सबसे बड़ा स्रोत
आपको बता दें कि शराब की बिक्री राज्य सरकारों के लिए सबसे ज्यादा मुनाफे वाली समझी जाती है। तभी राज्य सरकार है इसकी बिक्री बंद करने के लिए सैकड़ों बार सोचती हैं लेकिनअपने-अपने राज्यों में शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा पाती हैं। ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से आता है। शराब की बिक्री से यूपी के कुल टैक्स राजस्व का करीब 20 फीसदी हिस्सा मिलता है। उत्तराखंड में भी शराब से मिलने वाला आबकारी शुल्क कुल राजस्व का करीब 20 फीसदी होता है। सभी राज्यों की बात की जाए तो पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने कुल मिलाकर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई यानी टैक्स राजस्व शराब बिक्री से हासिल की थी। गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें न खुलने की वजह से राज्यों को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए केंद्र सरकार को शराब की दुकान खोलने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि शराब की दुकानों से राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। ऐसे में शराब की दुकानें बंद होने से राज्यों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है। राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से आता है। इंडस्ट्री तो काफी समय से शराब की बिक्री खोलने के लिए भारी दबाव बना ही रही थी, हरियाणा जैसी कई राज्य सरकारें भी इसकी मांग कर रही थीं।राजस्थान सरकार ने तो लॉकडाउन के बीच ही आबकारी शुल्क बढ़ा दिया था। लॉकडाउन की वजह से इन दोनों की बिक्री ठप थी, इस वजह से राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो गई थी। हालत यह हो गई थी कि कई राज्यों को ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था।
शराब की दुकानों पर मास्क-सोशल डिस्टेंसिंग के नियमोंं को पालन करनेेेे पर उठे सवाल
देश में लॉकडाउन के दौरान बंद शराब की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ ग्रीन जोन में खोलने की अनुमति मिल गई है। ग्रीन जोन में शराब और पान की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। जानकारी के अनुसार, शराब की दुकानों और पान की दुकानों को एक दूसरे से न्यूनतम छह फीट की दूरी सुनिश्चित करते हुए ग्रीन जोन में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दुकान पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति मौजूद न हो। शारीरिक दूरी का ध्यान रखना बेहद जरूरी होगा। क्या यह लोग शराब की बिक्री के दौरान जारी की गई गाइडलाइन का पालन कर पाएंगे।
एक बार अगर यह लोग बहक गए तो समाज ही नहीं पुलिस प्रशासन के लिए भी बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं। आज सुबह से ही कई राज्यों में देखा जा रहा है कि शराब दुकान खोलने पर लंबी-लंबी लाइनें लग चुकी है। कोई अनुशासन न सोशल डिस्टेंसिंग का उचित दूरी का पालन कर रहा है। सभी को इतनी जल्दी है कि वह जल्द से जल्द अपने शराब के रंग में रहना चाहता है।
शराब की दुकानों पर राज्य और केंद्र सरकारों के बनाए गए कोरोना की गाइडलाइन का खूब जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। शराब की दुकानों को खोलने का फैसला केंद्र और राज्य सरकारों को एक बार फिर से सोचना होगा कहीं ऐसा न हो यह आदेश उनके लिए भारी पड़ जाए । गौरतलब है कि आम दिनों में देखा जाता है कि शराब की दुकानों पर भारी जमघट लगा रहता है। आए दिन शोर-शराबा भी देखने को मिलता है, जिससे आसपास की कालोनियों में माहौल खराब हो जाता है।