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मोदी ने लॉकडाउन अब 3 मई तक बढ़ाया, 7 बातों पर जोर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीसरी बार देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने आज खत्म होने जा रहे लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का ऐलान किया है।

मोदी ने कहा कि 20 अप्रेल तक यह देखा जाएगा कि कहां लॉकडाउन का गम्भीरता से पालन हो रहा है और कोरोना कितना कंट्रोल में है, वहां कुछ छूट दी जा सकेगी।
मोदी ने सात बातों में जनता का साथ मांगा। इनमें बुजुर्गों का विशेष ध्यान, लॉक डाउन का पालन, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने, गरीबों का खयाल रखने, खुद की इम्युनिटी बढ़ाने, कोरोना कर्मवीरों का सम्मान करने आदि बातें शामिल हैं।

पिछली बार उन्होंने 24 मार्च को अपने संबोधन में 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया था। उससे पहले 19 मार्च को प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए 22 मार्च को एक दिन के ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया था।

 

पीएम मोदी का पूरा भाषण

नमस्ते, मेरे प्यारेदेशवासियो
कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई बहुत ही मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। आपके त्याग की वजह से ही भारत अब तक कोरोना से होने वाले नुकसान को काफी हद तक टालने में सफल रहा। आप लोगों ने कष्ट सहकर भी अपने देश को बचाया है। हमारे इस भारत वर्ष को बचाया है। मैं जानता हूं कि आपको कितनी दिक्कतें आई हैं। किसी को खाने की परेशानी, किसी को आने-जाने की परेशानी। कोई घर-परिवार से दूर है लेकिन आप देश की खातिर एक अनुशासित सिपाही की तरह अपने कर्तव्य निभा रहे हैं। मैं आप सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं।

हमारे संविधान में जिस वी द पीपल ऑफ इंडिया की शक्ति की बात कही गई है, यही तो है वो। बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी की जन्म जयंती पर हम भारत के लोगों की तरफ से अपनी सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन, यह संकल्प बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि है। बाबा साहब का जीवन हमें हर चुनौती को अपनी संकल्प शक्ति और परिश्रम के बलबूते पर पार करने की निरंतर प्रेरणा देता है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबा साहब को नमन करता हूं।

साथियो, ये देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग त्योहारों का भी समय है। वैसे भी भारत तो उत्सवों से भरा रहता है, हरा रहता है, खिलखिलाता रहता है। बैसाखी, पोहेला बैसाख, वीशू के साथ अनेक राज्यों में नए वर्ष की शुरुआत हुई है। लॉकडाउन के इन बंधनों के बीच देश के लोग जिस तरह नियमों का पालन कर रहे हैं, जितने संयम से अपने घरों में रहकर सादगीपूर्ण तरीके से त्योहार मना रहे हैं, यह बहुत ही प्रेरक और प्रशंसनीय है। मैं नए वर्ष पर आपके, आपके परिवारजन के उत्तम स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूं।

आज पूरे विश्व में कोरोना वैश्विक महामारी की जो स्थिति है, उससे हम सभी भली-भांति परिचित हैं। अन्य देशों के मुकाबले भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए, आप इसके सहभागी भी रहे हैं और साक्षी भी।

जब हमारे यहां कोरोना का एक भी केस नहीं था, उससे पहले ही भारत ने कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। कोरोना के मरीज 100 तक पहुंचे, उससे पहले ही भारत ने विदेश से आए हर यात्री के लिए 14 दिनों का आइसोलेशन अनिवार्य कर दिया था। अनेक जगहों पर मॉल हों, थिअटर हों, क्लब हों, जिम हों बंद किए जा चुके थे। जब हमारे यहां 550 केस थे तभी भारत ने 21 दिनों के संपूर्ण लॉकडाउन का एक बहुत बड़ा कदम उठा लिया था। भारत ने समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया, बल्कि जैसे ही समस्या दिखी उसे तेजी से फैसले लेकर उसी समय रोकने का भरसक प्रयास किया।

साथियो, वैसे ये एक ऐसा संकट है जिसमें किसी भी देश के साथ तुलना करना उचित नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ सच्चाइयों को हम नकार नहीं सकते। यह भी एक सच्चाई है कि अगर दुनिया के बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देशों में कोरोना के आंकड़े देखें तो उनकी तुलना में भारत की स्थिति बहुत संभली हुई है। महीना-डेढ़ महीना पहले कई देश कोरोना संक्रमण के मामले में एक प्रकार से भारत के बराबर खड़े थे। आज उन देशों में भारती की तुलना में कोरोना के केसेज 25 से 30 गुना बढ़ चुके हैं। उन देशों में हजारों लोगों की दुखद मौत हो चुकी है।

भारत ने होलिस्टिक और इंटिग्रेटेड अप्रोच नहीं अपनाए होते, समय पर तेज फैसले नहीं लिए होते तो आज भारत की स्थिति क्या होती, इसकी कल्पना करते ही रोयें खड़े हो जाते हैं। लेकिन बीते दिनों के अनुभवों से ये साफ है कि हमने जो रास्ता चुना है, आज की स्थिति में वही हमारे लिए सही है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का बहुत बड़ा लाभ देश को मिला है। सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो ये महंगा जरूर लगता है, बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है लेकिन भारतवासियों की जिंदगी के आगे इसकी कोई तुलना नहीं हो सकती। सीमित संसाधनों के बीच भारत जिस मार्ग पर चला है उस मार्ग की चर्चा आज दुनियाभर में होना बहुत स्वाभाविक है।

देश की राज्य सरकारों ने भी स्थानीय स्वराज इकाइयों ने भी इसमें बहुत जिम्मेदारी से काम किया है। चौबीसों घंटे हर किसी ने अपना जिम्मा संभालने का प्रयास किया है। लेकिन साथियो इन सब प्रयासों के बीच कोरोना जिस तरह फैल रहा है, उसने विश्व भर में हेल्थ एक्सपर्ट को और सरकारों को और ज्यादा सतर्क कर दिया है। भारत में भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब आगे कैसे बढ़े, हम विजयी कैसे हों, हमारे यहां नुकसान कम से कम कैसे हो, लोगों की दिक्कतें कम से कम कैसे हो, इन बातों को लेकर राज्यों के साथ निरंतर चर्चाएं की हैं। और इन सभी चर्चाओं में एक बात उभरकर आती है, नागरिकों की तरफ से भी यही सुझाव आता है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए।

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