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मोदी के नए मंत्रियों में डॉक्टर, वकील और पीएचडी


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में मंगलवार को जिन नए 19 चेहरों को शामिल किया है उनमें कई बहुचर्चित चेहरे हैं। इनमें पत्रकार, डॉक्टर, वकील और पीएचडी धारक भी हैं। इनके राजनीतिक सफर और शैक्षणिक योग्यताओं का लेखा-जोखा इस प्रकार है :


प्रकाश जावडेकर :
बीकॉम की डिग्री रखने वाले प्रकाश जावडेकर राज्य मंत्री से पदोन्नत किये गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में जावडेकर ने पर्यावरण नियमों को आड़े नहीं आने दिया। बताया जाता है कि उन्हें इसी का इनाम मिला है। इससे पहले जावडेकर वन एवं पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
फग्गन सिंह कुलस्ते :
मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कुलस्ते आदिवासी नेता हैं।वह शैक्षणिक रूप से एमए, बीएड, एलएलबी डिग्री धारक हैं। वह अटल बिहारी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। सरकार की वेबसाइट के अनुसार वह नेता होने के अलावा किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। लोकसभा में वह इस बार पांचवीं बार चुने गए हैं और कुलस्ते राज्य सभा से भी सांसह रह चुके हैं। कुलस्ते वोट के बदले नोट कांड में चर्चित रहे हैं।
एस एस अहलूवालिया :
बीएससी, एलएलबी डिग्री धारक एसएस अहलूवालिया कांग्रेस राज में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्ह राव कैबिनेट में मंत्री थे। अहलूवालिया के कमोबेश सभी राजनीतिक पार्टियों से अच्छेसम्बन्ध रहे हैं। दार्जिलिंग से लोकसभा सांसद चुने जाने से पहले अहलूवालिया झारखंड और बिहार से राज्यसभा सांसद रहे। वह 1986-1992, 1992-1998, 2000–2006, और 2006-2012 तक राज्यसभा सांसद रहे।
राजेन गोहेन :
65 साल के राजेन गोहेन बीए और एलएलबी पास हैं। असम में नवगोंग से लोकसभा सांसद हैं। इन्होंने 1991 में बीजेपी ज्वाइन किया था। लोकसभा में वह चौथी बार चुनकर पहुंचे हैं। वह अहोम कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं। इसी कम्युनिटी से तरुण गोगोई भी हैं। असम में यह कम्युनिटी सामान्य तौर पर कांग्रेस समर्थक मानी जाती है। जाहिर है गोहेन की बीजेपी में एंट्री इस कम्युनिटी को पार्टी के करीब लाने की कोशिश है।
सीआर चौधरी :
रुरल डिवेलपमेंट में विशेषज्ञता के कारण सीआर चौधरी को पहली बार सांसद बनने पर ही मोदी कैबिनेट में शामिल कर लिया गया। स्नातकोत्तर डिग्री धारक चौधरी ने यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगम से भी पढ़ाई की है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत बाड़मेड़ और अजमेर में एक लेक्चरर से की थी। इसके बाद चौधरी राजस्थान ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में कामयाब रहे थे।
मनसुखभाई लक्ष्मणभाई मंडाविया:
मनसुख मंडाविया गुजरात से बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं। हायर सेकेंडरी पास मंडाविया एबीवीपी के नेता रह चुके हैं। वह भावनगर गुजरात के रहने वाले हैं और पटेल समुदाय के प्रमुख नेता हैं।
विजय गोयल :
62 साल के विजय गोयल के पास एमकॉम और एलएलबी की डिग्री है। वह राजस्थान से बीजेपी सांसद हैं। इससे पहले वह लोकसभा के लिए तीन बार चुने जा चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में विजय गोयल प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री मंत्री रह चुके हैं।
अर्जुनराम मेघवाल :
65 साल के मेघवाल राजस्थान में बीकानेर से सांसद हैं। एमए. एलएलबी, एमबीए पास मेघवाल पहली बार 2009 में लोकसभा के लिए चुने गए। मेघवाल राजस्थान कैडर के एक रिटायर्ड आईएएस हैं। वह लोकसभा में बीजेपी के चीफ व्हिप हैं। मेघवाल स्थानीय भाषा के पक्ष में खुलकर बोलते हैं। मेघवाल संसद साइकल से जाने के लिए भी लोकप्रिय हैं।
रामदास आठवले :
अंडर ग्रेजुएट आठवले एक अनुभवी और आंबेडकरवादी दलित नेता हैं। अपनी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से वह एकलौते राज्यसभा सांसद हैं। 1998 और 2004 में वह लोकसभा सांसद भी चुने जा चुके हैं। पहली बार 1990 में आठवले महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए थे। महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार में वह मंत्री भी रहे थे। 2011 में वह बीजेपी-सेना गठबंधन में शामिल हो गए थे।
अनुप्रिया पटेल :
बीए, एमबीए डिग्री धारक अनुप्रिया पटेल अपना दल की नेता हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से इन्होंने लोकसभा चुनाव जीता था। यूपी में गैरयादव ओबीसी में पटेल एक मजबूत जाति है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए अनप्रिया को कैबिनेट में शामिल किया जाना एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
रमेश चंदप्पा जिगजिनागी :
64 साल के जिगजिनागी एक दलित नेता हैं। स्नातक डिग्री होल्डर जिगजिनागी कर्नाटक में बीजापुर से सांसद हैं। चंदप्पा पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में चुने जाने के बाद चंदप्पा कर्नाटक के उन चार नामों में से एक थे जिन्हें मंत्री बनाने के लिए पार्टी ने सिफारिश की थी।
एम जे अकबर :
अकबर द टेलिग्राफ और द एशियन एज के संपादक रहे। बीए ऑनर्स की पढाई करने वाले एमजे अकबर कभी राजीव गांधी के खास लोगों में थे। 1989 में वह कांग्रेस के टिकट पर बिहार के किशनगंज से लोकसभा सांसद चुने गए थे।1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद वह पार्टी से दूर हो गए और फिर से पत्रकारिता में लौट गए। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अकबर बीजेपी में शामिल हुए थे।

पीपी चौधरी :
पीपी चौधरी बीएससी और एलएलबी की शैक्षणिक डिग्री रखते हैं। राजनीति में आने से पहले वह जाने-माने वकील थे। पीपी चौधरी राजस्थान में पाली से लोकसभा सांसद हैं। चौधरी जोधपुर से हैं और वह ओबीसी सीर्वी जाति से ताल्लुक रखते हैं। 63 साल के चौधरी आरएसएस से जुड़े रहे हैं। संसद में अपनी मौजूदगी को लेकर चौधरी ने रेकॉर्ड कायम किया था। इसके लिए दो बार संसद रत्न से भी नवाजा गया।
अनिल माधव दवे :
59 साल के अनिल माधव दवे एमकॉम पास हैं। वह मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। वह एक पर्यावरणविद् हैं। पर्यावरण पर इन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। वह 2009 से राज्यसभा सांसद हैं।
सुभाष रामराव भमरे :
रामराव मराठा नेता हैं। एमबीबीएस और एमएस डिग्री धारक भमरे पेशे से डॉक्टर हैं। वह महाराष्ट्र में धुले से लोकसभा सांसद हैं। इन्होंने ग्रांट मेडिकल कॉलेज, जेजे हॉस्पिटल और टाटा कैंसर हॉस्पिटल से पढ़ाई की है। वह पहली बार बीजेपी से लोकसभा सांसद बने हैं।
जसवंत सिंह भाभोर :
बीए पास भाभोर एक दलित नेता हैं। मोदी जब गुजरात के सीएम थे तब वह उनकी कैबिनेट में मंत्री थे। इन्होंने गुजरात में कई विभागों का काम संभाला था। आदिवासी मामलों और पर्यावरण मंत्री की जिम्मेदारी गुजरात में इन्होंने संभाली थी। गुजरात में दाहोद से भाभोर लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले वह गुजारत असेंबली के लिए पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए हैं।
महेंद्र नाथ पांडेय :
महेंद्र नाथ पांडेय पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त है और बीएचयू से पीएचडी हैं।वह उत्तर प्रदेश में चंदौली से लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले वह बीजेपी से दो बार विधायक रह चुके हैं। वह पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी बताये जाते हैं।
परषोत्तम रुपाला :
64 साल के रुपाला गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं। वह बीएससी और बीएड की डिग्री रखते हैं। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब रुपाला प्रदेश के कृषि मंत्री थे। राज्यसभा में उनका यह दूसरा टर्म है। गुजरात में इनकी गिनती शक्तिशाली पटेल नेता के रूप में है।
अजय टम्टा :
इंटरमीडिएट तक की पढाई करने वाले अजय टम्टा अलमोड़ा से बीजेपी के लोकसभा सांसद हैं। उनकी छवि एक दलित नेता की है। मंत्रिमंडल में उनकी जगह को उत्तराखंड के दलित और आदिवासी समुदायों में बीजेपी को मजबूत बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। टम्टा पहली बार सांसद बने हैं। इससे पहले वह अपने गृह राज्य में 2007 से 2009 के बीच मंत्री रहे थे।
कृष्णा राज :
अवध विश्व विद्यालय से एमए पास कृष्णा राज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से बीजेपी की सांसद हैं। पहली बार सांसद बनीं कृष्णा राज की छवि दलित नेता की है। वह मोहम्मदी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक भी रह चुकी हैं।