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मार गई मोदी की महंगाई !

 हैट्रिक बनेगी लेकिन…

सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी के ‘महामानव’ नरेन्द्र मोदी को अब मंथन ही नहीं आत्ममंथन करने को मजबूर कर दिया है। खेल खेल में बच्चे ने आईना दिखा दिया है। कोई बिना कुछ करे ही हीरो बनकर उभरा है तो कोई सब कुछ करने के बाद भी उपहास का पात्र बन गया है।
बात अहंकार और महंगाई पर आकर अटकी है। दोनों के बीच संतुलन होना चाहिए था लेकिन हुआ उल्टा, दोनों ही बराबर बढ़ते रहे। जनता महंगाई से त्रस्त होती रही और वे बुलेट गति से विकास की बात करते रहे। लोगों की मजबूरी को राष्ट्रवाद की चट्टान से दबाते रहे। रोजी रोटी और राम में संतुलन होना चाहिए था लेकिन हम चरणामृत ही बांटते रहे।
यह अटल सत्य है कि देश का बुलेट गति से विकास हुआ, राष्ट्रवाद ने भी बुलन्दी छुई है। भ्र्ष्टाचार पर भी लगाम कसी। देश का गौरव भी बढ़ाया। मगर मोदी सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के मध्य में मध्यम वर्ग कहीं नजर नहीं आया।
अब मध्यम वर्ग ने ही दोनों गठबंधनों के बीच ‘संतुलन’ बना दिया है।
निश्चित तौर पर मोदी सरकार की हैट्रिक बनेगी लेकिन यह जीत कई सन्देश-चेतावनी भी लेकर आई है।
भूखे पेट भजन न होय गोपाला!
अहंकार और आत्मविश्वास में संतुलन जरूरी है।
गरीब का ध्यान रखा तो मध्यम वर्ग को भी तरजीह मिलनी चाहिए, उनके लिए भी संतुलन होना चाहिए।
जनता ने पूरा नपा-तुला जनादेश दिया है। न किसी को उछलने की जरूरत है न उदास होने की।

तीसरी पारी, होनी चाहिए सब पर भारी

तीसरी बार फिर मोदी के हाथों में इस मातृभूमि की तकदीर होगी.. लेकिन इस बार कुछ ऐसा होना चाहिए कि जनता दिल से कहे-हर बार मोदी सरकार।

वन्देमातरम