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महापैकेज ने जगाए हर वर्ग के सपने, मोदी से लगाई आस

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम 8 बजे एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित किया। इस महामारी के दौर में पीएम मोदी का 54 दिनों में राष्ट्र के नाम पांचवां संबोधन था। इस बार प्रधानमंत्री ने अपने अधिकार भाषण में देश की अर्थव्यवस्था कैसे सुधरेे, इसी पर फोकस रखा। देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पीएम ने 20 लाख करोड़ महापैकेज की घोषणा की।

पीएम की इस महापैकेज घोषणा केे बाद समाज का हर वर्ग चाह गरीब हो या मध्यम वर्ग हो एक बार फिर से रोजगार को लेकर अपने सपनेेे संजोने में जुट गया है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद उद्योग जगत भी खुश नजर आ रहा है। पीएम मोदी के इस महापैकेज के घोषणा के बाद लोगों को रात से ही नींद उड़ गई है। लोगों के जेहन में आखिर कई प्रकार से विचार आ रहे हैं कि आखिर 20 लाख करोड़ को सरकार किस प्रकार से बंटवारा करेगी। वहीं आज यानी 13 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बताएंगी कि ये आर्थिक पैकेज कहां और कैसे खर्च होगा।

 

हालांकि इस पैकेज में पहले से चल रहे कई योजनाओं को भी शामिल किया गया है। सबसे अहम ये है कि ये आर्थिक पैकेज उन लोगों के लिए है जो कोरोना के चक्र में बुरी तरह फंस गए हैं। प्रधानमंत्री ने साफ किया इस आर्थिक पैकेज से कुटीर उद्योग, लघु मंझोले उद्योग, श्रमिक, किसान और मध्यम वर्ग को फायदा मिलेगा, साथ ही आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत को भी नई ताकत देगा।

ये 20 लाख करोड़ केंद्र सरकार की एक साल की कमाई से भी ज्यादा है

यहां हम आपको बता दें इस महापैकेज कैसे मैनेज करेगी केंद्र सरकार। खराब अर्थव्यवस्था के इलाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कल 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है, वह सरकार की 1 साल की कुल राजस्व कमाई से भी ज्यादा है। इस समय साल भर में सरकार का कुल टैक्स रेवेन्यू 15 लाख करोड़ रुपये के करीब आ रहा है। इसमें नॉन टैक्स रेवेन्यू के 3.45 लाख करोड़ रुपये को भी जोड़ दिया जाए, तो भी इतने पैसे नहीं होते हैं।

हालांकि चालू वित्त वर्ष के बजट में तो 20 लाख करोड़ से भी ज्यादा की राजस्व आमदनी का अनुमान लगाया गया है, लेकिन इसका पूरा होना मुश्किल दिखता है। वित्त वर्ष 2019-20 की आमदनी के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल सरकार को प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर से कुल मिलाकर 15.04 लाख करोड़ रुपये आए। इसमें से ज्यादातर हिस्सा मतलब 11 लाख करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा कारपोरेशन टैक्स और इनकम टैक्स के मद में आए। पिछले साल कस्टम ड्यूटी मद में सवा लाख करोड़ रुपयेऔर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी मद में करीब ढाई लाख करोड़ रुपये आए। 1200 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स के रूप में मिले जबकि जीएसटी के रूप में 6.12 लाख करोड़ रुपये मिले।

6884 करोड़ रुपये केंद्र शासित प्रदेशों के टैक्स से सरकार को मिले। लेकिन इस राशि में से 6.56 लाख करोड़ रुपये राज्यों का हिस्सा भी गया। इस तरह से केंद्र सरकार के हाथ में बचे 15.04 लाख करोड़ रुपये। इस प्रकार हम बात करें तो केंद्र सरकार की 1 साल की आमदनी 15 लाख करोड़ के आसपास ही है। प्रधानमंत्री के मुताबिक, 20 लाख करोड़ रुपए का यह पैकेज भारत की जीडीपी का करीब-करीब 10 फीसदी है। इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को 20 लाख करोड़ का संबल और सपोर्ट मिलेगा।

अब हमारे देश में स्वदेशी सामानों की बिक्री में भी आएगी तेजी

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को स्वदेशी अपनाने पर विशेष जोर दिया है। देश का ही बना प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से जो अपील की है उससे स्वदेशी कंपनियां भी फूले नहीं समा रही हैं‌‌। हम आपको बता दें कि भारत के पड़ोसी देश चीन ने पिछले कई वर्षों से हमारे देश का अधिकांश बाजारों को कब्जा कर रखा है। पीएम मोदी चाहते हैं अगर देशवासी चीन का बना सामान का बहिष्कार करना शुरू कर देंगे तो अपने देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे मजबूत होती चली जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महामारी ने स्थानीय विनिर्माण, बाजार और आपूर्ति श्रृंखला का महत्व सिखा दिया है। उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में इसी लोकल ने हमारी मांग पूरी की। इसी लोकल ने हमें बचाया है। लोकल बस जरूरत नहीं है, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है। आज से हर भारतीय को अपने लोकल के लिए मुखर होना होगा। उसे न केवल लोकल चीजें खरीदने के लिए बल्कि गर्व से उसे बढ़ावा देने के लिए भी मुखर होना होगा।

पीएम मोदी के स्वदेशी सामानों के लेने के आह्वान के बाद अब बाजारों में देश की बनी वस्तुओं की मांग बढ़ जाएगी, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आज भारत में लगभग 60 प्रतिशत से भी अधिक लोग प्रधानमंत्री की हर बात को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। दूसरी ओर पतंजलि के प्रमुख बाबा रामदेव ने पिछले कई वर्षों से स्वदेशी वस्तुओं को लेने के लिए देश भर में अभियान छेड़ रखा है। पीएम मोदी की घोषणा के बाद बाबा रामदेव भी फूले नहीं समा रहे होंगे।