मुंबई। मशहूर उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा का बुधवार को 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. कुछ दिनों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे आईसीयू में एडिमट थे. तीन दिन पहले भी उनके निधन की खबर सामने आई थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद इसे खारिज कर दिया था. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताया था कि वे बिल्कुल फिट और दुरुस्त हैं. लेकिन बुधवार को इस शख्सियत ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित
रतन टाटा का भारत के कारोबारी जगत में काफी अहम योगदान माना जाता है. वे भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किए जा चुके हैं. वह प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कानोन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड के पूर्व छात्र रहे.
सहृदय, सरल और नेक व्यक्ति के रूप में पहचान
रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को हुआ था. उन्हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो बताते हैं कि उन्होंने बहुत से लोगों की मदद की. साथ ही देश की तरक्की में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. देश के मध्यम वर्ग को लखटकिया कार का मालिक बनाकर उन्होंने कई दिलों में घर बना लिया था.
देशभर में शोक की लहर
रतन टाटा के निधन पर राजनीति, उद्योग और फिल्मी जगत की हस्तियों ने शोक जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख जताया. पीएम मोदी ने लिखा, रतन टाटा एक बिजनरी बिजनेस लीडर, दयालु और असाधारण इंसान थे. उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया. उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया. अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों का प्रिय बना लिया. रतन टाटा के सबसे अनूठे पहलुओं में से एक, उन्हें बड़े सपने देखने और उसे पूरा करने का जुनून था. एजुकेशन, हेल्थ, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे कुछ मुद्दों का समर्थन करने में सबसे आगे थे.