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भारत ने रखा जलवायु परिवर्तन को लेकर एजेंडा, कई देशों ने की प्रशंसा


अन्ताल्या। भारत ने विकसित एवं विकासशील देशों के संगठन – जी 20 के शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को लेकर 7 सूत्री एजेंडा दुनिया के सामने रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं से निपटने और उसके खात्मे के लिए समस्त विश्व के देशों को आपस में सहयोग करना चाहिए।
मोदी ने कहा कि हमें ‘कार्बन के्रडिट’ से ‘ग्रीन के्रडिट’ की ओर जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक दुनिया के देश एकजुट होकर पर्यावरण की समस्याओं पर गहराई से चिंतन नहीं करेंगे और उसके सुधार के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाएंगे, तब तक जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल मानव जाति के सामने बल्कि समूचे जीवन के अस्तित्व के सामने संकट खड़ा रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रकृति प्रदत्त समस्याओं से निदान के लिए हमें न केवल ईंधन की खपत घटानी होगी, बल्कि अपनी जीवनशैली में भी आवश्यक बदलाव लाना होगा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के लिए सात सूत्रीय एजेंडा का प्रस्ताव किया। इसकी प्रशंसा वहां मौजूद सभी राष्ट्राध्यक्षों ने की और कई देशों ने इस पर एकजुट होकर चलने के लिए सहमति भी प्रदर्शित की।
उल्लेखनीय है कि विकसित एवं विकासशील देशों के संगठन- जी 20 के शिखर सम्मेलन के पहले ही औपचारिक रूप से भारत ने पहले जलवायु परिवर्तन पर अपने रोडमैप की घोषणा कर दी थी। इसमें सरकार की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि भारत 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता (emission intensity) में 33 से 35 फीसदी कटौती करेगा।

इसके अलावा उसने यह भी बता दिया था कि वह तीन खरब टन तक कार्बन को सोखने के लिए अतिरिक्त जंगल लगाने पर अपना विशेष फोकस करेगा । जिसमें कि 2030 तक होने वाले कुल बिजली उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सा कार्बनरहित ईंधन से होगा। वहीं भारत 2022 तक वह 1 लाख 75 हजार मेगावाट बिजली सौर और पवन ऊर्जा से बनाएगा।
गौरतलब है कि भारत ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए अपना जो रोडमैप तैयार किया है वह दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों अमेरिका, चीन, यूरोपियन यूनियन जैसे राष्ट्रों की तुलना में बहुत अधिक बेहतर बताया गया है।

भारत ने अपने रोडमेप में यह भी साफ कर दिया है कि वह सेक्टर आधारित (जिसमें कृषि भी शामिल है) लिटिगेशन प्लान के लिए बाध्य नहीं है। भारत ने पहले ही अपने रोडमैप की घोषणा कर दी है। भारत का रोडमैप इन देशों के मुकाबले ज्यादा प्रभावी दिखता है।