देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट के मद्देनजर नृसिंह मंदिर परिसर में स्थित भगवान बद्री विशाल के खजाने को लेकर अधिकारी चिंतित हैं कि इसे सुरक्षित रूप से कहां रखा जाए। हालांकि, मंदिर पदाधिकारियों ने दावा किया कि अभी मंदिर भू-धंसाव से सुरक्षित है, लेकिन उन्होंने इस बात पर चर्चा शुरू कर दी है कि नगर पर संकट बढ़ने की स्थिति में बड़ी मात्रा में सोने और चांदी के अलावा चढ़ावा के रूप में प्राप्त अन्य सामान को कहां रखा जा सकता है।
सर्वाधिक प्रभावित सिंहधार वार्ड और जेपी कॉलोनी के नृसिंह मंदिर से केवल आधा किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित होना अधिकारियों की परेशानी को और बढ़ा रहा है। सर्दियों में बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकाल में छह माह के लिए बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्य कार्यालय बद्रीनाथ से जोशीमठ नगर में नृसिंह मंदिर परिसर में आ जाता है। इसी के साथ भगवान बद्रीनाथ का कोष और खजाना भी हर साल इस मंदिर में आ जाता है। यह परंपरा मंदिर समिति के गठन के समय से ही बनी हुई है।