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पॉलिटिकल पंजा : खट्टर के खिचड़े में वसुंधरा ने मारा चम्मच !

नामदेव न्यूज डॉट कॉम

अजमेर। हरियाणा में इंटरनेशनल गीता महोत्सव की धूम और इधर पुष्कर में दो दिवसीय भक्ति उत्सव।

दोनों बड़े आयोजनों में 10 तारीख ऐसी अड़ी कि भक्त कन्फ्यूज। इसी दिन यानी मोक्ष एकादशी पर कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव का समापन और इसी दिन पुष्कर में भक्ति उत्सव का आगाज। कई धर्मभीरू ऐसे भी हैं जो आयोजनों में शरीक होना चाहेंगे लेकिन तारीख का टकराव उनके धर्मलाभ में बाधा बन गया। कुरुक्षेत्र गए श्रद्धालु अब जल्द से जल्द वहां से रवानगी लेकर पुष्कर आना चाहेंगे।

सवाल यह है कि क्या बीजेपी सरकारों में इतना भी तालमेल नहीं रहा? धर्म और हिंदुत्व की रस्सी पकड़कर श्रद्धालुओं (मतदाताओं) को अपने पाले में लेने वाली भाजपा इन दो बड़े धार्मिक आयोजनों के बीच तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई?

बेशक हरियाणा और राजस्थान अलग राज्य हैं लेकिन दोनों की सत्ता बीजेपी के हाथ में हैं। दोनों पड़ौसी राज्य हैं। दोनों आयोजन धार्मिक दृष्टि से अहम हैं। कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया। हिन्दू धर्म इसी गीता ज्ञान को जीता है जबकि पुष्कर करोड़ों हिंदुओं का आस्था स्थल है। इंटरनेशनल गीता महोत्सव जहाँ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का ड्रीम प्रोजेक्ट है, वही पुष्कर का भक्ति उत्सव मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सपने की हकीकत है, मगर अफ़सोस। मैडम वसु यहां भी संघ की नाराजगी मोल लेने से नहीं चूकीं। गीता महोत्सव के बीच में खुद की ‘परिकल्पना’ घुसाकर उन्होंने तारीख का टँटा फंसा दिया।

यहां बताते चलें कि खट्टर आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। कोई उनके ड्रीम प्रोजेक्ट की भीड़ में से हिस्सा बंटाए, यह उन्हें और आरएसएस को कतई बर्दाश्त नहीं होगा।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आरएसएस से दूरियां जगजाहिर हैं। वसु कभी भी आरएसएस की पसंद नहीं रहीं। जयपुर में मेट्रो के नाम पर बड़ी तादाद में मंदिरों पर बुलडोजर चलने के बाद आरएसएस ने आँखें तरेरीं तो एक बार तो महारानी का सिंहासन भी डोल गया था। अफवाह तो यहां तक उड़ गई थी कि pm नरेंद्र मोदी वसु की जगह ओम माथुर को cm बनाने जा रहे हैं। जयपुर में मंदिरों की तोड़फोड़ से आरएसएस के निशाने पर आईं वसु ने इस बार खट्टर के पके पकाये गरमा गरम खिचड़े में अपना चम्मच मारकर खटास मोल ले ली है।