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पूरी दिल्ली डूब जाए इतना बड़ा आइसबर्ग टूटा अंटार्कटिका में

वॉशिंगटन। अंटार्कटिका जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर प्रभावित होने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है. अभी हाल में आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1500 वर्ग किमी से अधिक आकार का एक विशाल हिमखंड की 150 मीटर मोटी आइस शेल्फ से टूट गई है. हिमखंड (Iceberg) टूटने का मुख्य कारण पिछले कुछ सालों में यहां पड़ी दरारें हैं. इस ब्रंट आइस शेल्फ को बारीकी से निगरानी की जा रही थी. 16 जीपीएस उपकरणों (16 GPS Technology) का एक नेटवर्क बर्फ में हुए बदलाव जैसे कि टूटने आदि को मापती है.
ये क्रैक, जिसे खाई-1 (Chasm-1) भी कहा जाता है. पिछले दो सालों में अंटार्टिका में आइस सेल्फ की टूटने की ये दूसरी सबसे बड़ी घटना है. हालांकि, आइस शेल्फ (Ice Shelf) का क्षेत्र वर्तमान में हुए प्राकृतिक प्रक्रिया यानी काल्विंग (Calving) से अछूता रहा है.
ब्रिटिश रिसर्च सेंटर हैली (Halley) घटनाओं पर पैनी नजर रख रहा है. बीएएस (BAS) के निदेशक प्रोफेसर डेम जेन फ्रांसिस ने एक बयान में बताया, ‘हमारे भूवैज्ञानिक और ऑपरेशन टीम पहले से ही इस घटना की आशंका जाता रहे थे. स्टेशन के चारों ओर लगे उच्च परिशुद्धता वाले जीपीएस उपकरण कई बार बर्फ की शेल्फ की माप करते हैं.’
आइसबर्ग के बर्फ शेल्फ में क्रैक की सबसे पहली घटना का संकेत एक दशक पहले 2012 में मिली थी. जब एक सेटेलाइट ने क्रैक का के टूटने की तस्वीर ली थी. भूवैज्ञानिक ने चस्म-1 (chasm-1) की संभावित पथ और गति की गणना की ‘जमीनी हकीकत’ जानने के लिए बर्फ को छेद कर प्रयोग किये जाने वाले राडार का उपयोग किया था. ये क्रैक 2015 तक बढ़ते रहा और दिसंबर 2022 तक काल्विंग (Calving) घटना की वजह से पूरे आइस शेल्फ को पार कर गया था.

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (BAS) के भूवैज्ञानिक प्रो. डॉमिनिक होड्गसन ने बताया कि यह आइसबर्ग अपनी प्राकृतिक प्रक्रिया यानी काल्विंग (Calving) की वजह से टूटा है. इस घटना का ग्लोबल वार्मिंग (जलवायु परिवर्तन) से कोई है संबंध नहीं है.

आइसबर्ग टूटने की अन्य घटना साल 2017 में देखी गई थी, जिसे हैलोवीन क्रैक (Halloween Crack) के नाम से भी जाना जाता है. ये घटना ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन हैली (Halley) के उत्तर में 17 किमी की दूरी पर हुई थी. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि चस्म-1 के पास एक अन्य आइसबर्ग बना है जो संभवतः A-74 आइसबर्ग से भी बड़ा है.

बताया जा रहा है कि टूटने वाले आइसबर्ग का माप इतना है कि पूरी दिल्ली उसमें डूब जाए.