नई दिल्ली/चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन से सियासी हलके सहित समर्थकों में शोक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रकाश सिंह बादल को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। बता दें कि सन 2014 में नरेंद्र मोदी जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे तो शपथ ग्रहण समारोह में प्रकाश सिंह बादल के पांव छूकर नमन किया था। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि प्रकाश सिंह बादल उनके सियासी गुरु हैं। सन 2019 में मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने। मगर वाराणसी सीट पर नामांकन से पहले पीएम मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
कृषि कानूनों की वजह से आई शिअद-भाजपा में खटास
केंद्र सरकार ने जब कृषि सुधार कानून लागू किए तो इनका पंजाब और हरियाणा में खूब विरोध हुआ। यही वजह थी कि मोदी सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिअद-भाजपा के नाखून-मांस के रिश्तों में खटास आ गई थी और किसान आंदोलन दोनों दलों के अलगाव का कारण बना।
केंद्र सरकार ने जब कृषि सुधार कानून लागू किए तो इनका पंजाब और हरियाणा में खूब विरोध हुआ। यही वजह थी कि मोदी सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिअद-भाजपा के नाखून-मांस के रिश्तों में खटास आ गई थी और किसान आंदोलन दोनों दलों के अलगाव का कारण बना।
इस दौरान बादल परिवार के अन्य नेताओं पर सियासी छींटाकाशी तो खूब होती रही मगर कभी भी मोदी ने बादल के खिलाफ और बादल ने मोदी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। बादल बदले की सियासत में विश्वास न रखने वाले नेता थे। यही वजह है कि विरोधी भी उनकी इज्जत करते थे।
चंडीगढ़ में आखिरी दर्शन को रखा जाएगा पार्थिव शरीर
प्रकाश सिंह बादल का पार्थिव शरीर चंडीगढ़ के सेक्टर -28 के शिअद कार्यालय में बुधवार सुबह 10:00 से 12:00 दोपहर तक दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा। जहां 27 अप्रैल को दोपहर 1:00 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह जानकारी शिअद चंडीगढ़ अध्यक्ष हरदीप सिंह ने दी।
प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक करियर
- पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वे 2022 में पंजाब विधानसभा का चुनाव हार गए थे।
- उन्होंने 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीते। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे।
- 1957 में उन्होंने सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा।
- 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।
- वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
- वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने।
- मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते हुए जनता ने उन्हें लोकसभा सांसद के रूप में भी चुना।
- 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने।