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पर्रिकर के शपथ पर रोक नहीं, 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को रोकने से इनकार कर दिया है।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने याचिकाकर्ता कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए गोवा के राज्यपाल को निर्देश दिया कि वे 16 मार्च को 11 बजे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराएं।

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मनोहर पर्रिकर को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते समय गोवा के राज्यपाल ने 15 दिन के भीतर विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च यानि कल तक विधानसभा के गठन की सारी प्रक्रियाएं पूरी करने का भी निर्देश दिया।

गोवा कांग्रेस विधानसमंडल दल के नेता चंद्रकांत कावलेकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की संवैधानिक परिपाटी का पालन नहीं किया और बीजेपी के नेता मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया।

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राज्यपाल का बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का फैसला सही हो सकता है लेकिन उन्हें कम से कम कांग्रेस को अपनी संतुष्टि के लिए जरुर बुलाना चाहिए था।

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चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आपने याचिका में बहुमत की कोई सूची नहीं दी है। आपने केवल ये कहा है कि कोई पार्टी आपको समर्थन दे रही है लेकिन बीजेपी ने अपने समर्थन की पूरी सूची राज्यपाल को सौंपी है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं है तो ये राज्यपाल का काम है कि वो ये देखें कि बहुमत किसके पास है।

इसके बाद सिंघवी ने कहा कि ये संवैधानिक दायित्व है कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए, ये संख्या का मामला नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे बुरा क्या होगा कि सरकार बना लें और विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सकें।

सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने वैसे व्यक्ति को शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया जिसने खुद चुनाव नहीं जीता है। सिंघवी ने कहा कि किसी भी पार्टी का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था।

इसके बावजूद राज्यपाल ने हड़बड़ी दिखाते हुए सरकारिया आयोग और एमएम पूंछी आयोग की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जिसमें सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की बात कही गई है।

उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास गोवा विधानसभा में केवल 13 विधायक हैं लेकिन वो केंद्र में अपनी सरकार का उपयोग करते हुए छोटी पार्टियों के जरिये बहुमत का आंकड़ा जुटा रही है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के फैसले का भी सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यपाल ने संविधान और की अनदेखी दी।

सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल का फैसला न्यायिक समीक्षा के अधीन होता है और अगर कोई फैसला मनमाना तरीके से लिया गया है तो उसमें हस्तक्षेप किया जा सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आपके पास संख्या है तो इसे प्रमाणित कीजिए।अगर बहुमत है तभी आपका केस बनता है।

चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आप एक ही तर्क दूसरे शब्दों में कह रहे हैं। सिंघवी बार-बार इस बात पर जोर दे रहे थे कि राज्यपाल को कांग्रेस से भी विचार-विमर्श करना चाहिए था।

चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आप जो भी सवाल यहां उठा रहे हैं वो राज्यपाल के समक्ष उठाना चाहिए था। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आपके पास संख्या होती तो तीस सेकंड में मामला खत्म हो जाता।

जब सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने राज्यपाल के जरिये खरीद फरोख्त को बढ़ावा दिया तो चीफ जस्टिस ने राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हरीश साल्वे को कहा कि आप एक ताकतवार व्यक्ति हैं और आप मेनिपुलेट कर सकते हैं।

उसके बाद हरीश साल्वे ने राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट के लिए दिए गए आदेश को पढ़ा और कहा कि 21 विधायक राज्यपाल से मिलने गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने न तो सुप्रीम कोर्ट में और न ही राज्यपाल के यहां पर्रिकर के दावे के खिलाफ कोई सबूत पेश किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 16 मार्च को 11 बजे फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। उसके पहले विधानसभा गठन की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।

सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए जो सभी 40 विधायकों को शपथ दिलवाएंगे उसके बाद फ्लोर टेस्ट करवाएंगे। जब कोर्ट अपना आदेश लिखवा रही थी तो सिंघवी ने मांग की कि मनोहर पर्रिकर और कावलेकर के बीच कंपोजिट फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।

सिंघवी का कहना था कि फ्लोर टेस्ट के बाद शपथ ग्रहण समारोह होना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद फ्लोर टेस्ट होना चाहिए और सरकार बहुमत साबित करे।

सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि कांग्रेस ने पर्रिकर को पक्षकार नहीं बनाया है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपने पर्रिकर को पक्षकार क्यों नहीं बनाया। उन्होंने सिंघवी से कहा कि आपने अपनी बात रखी लेकिन अपना पक्ष नहीं रखा। उन्होंने दोबारा पूछा कि आपने पर्रिकर को पक्षकार क्यों नहीं बनाया ?

जब सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट की तारीख की तिथि आदेश में लिखवा रही थी तो हरीश साल्वे ने कहा कि फ्लोर टेस्ट शुक्रवार या सोमवार को कराया जाए। लेकिन सिंघवी ने कहा कि गुरुवार को फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप गुरुवार को फ्लोर टेस्ट कराइए।

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