लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष 2016-17 में सरकारी विज्ञापन के लिए 515.49 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है।
यह तथ्य एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा आरटीआई में दी गयी सूचना से सामने आया है।
विभाग के वरिष्ठ वित्त और लेखाधिकारी श्रीनिवास त्रिपाठी द्वारा नूतन ठाकुर को दी गयी सूचना के अनुसार प्रचार की आवश्यकता के अनुसार विभाग के प्रचार-प्रसार का मद निश्चित किया जाता है और वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकारी विज्ञापन के लिए 515.49 करोड़ रुपये की धनराशि तय की गयी थी।
मालूम हो कि 14 पेज के एक अखबार की कॉस्ट 15 रुपए आती है लेकिन अखबार मालिक अपने पाठकों को महज 3-4 रुपए में अख़बार मुहैया कराते हैं, बाकी का खर्च वे इन विज्ञापनों से निकालते हैं । पाठक संख्या को अखबार मालिक सरकार से बार्गेनिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं। यानी पाठक अनजाने में मोहरा बन जाते हैं । जितना बड़ा अख़बार होता है, वह उतना ही ज्यादा सरकार को ब्लैकमेल करता है। उतने ही ज्यादा विज्ञापन मांगता है। नतीजा यह होता है कि अपनी वाह वाही कराने और अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए बड़े अख़बारों-चैनलों को भरपूर विज्ञापन दिए जाते हैं।
इस तरह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा चन्द अखबार मालिकों के पास पहुंच जाता है।
सरकार चाहे किसी की हो, अखबार चाहे कोई सा भी हो, असली खेल यही है।