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न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हुई गायब, उत्तराखंड यूसीसी के ड्राफ्ट से ज्यादा इस तस्वीर की चर्चा

देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को समान नागरिक संहिता (UCC) का ड्राफ्ट सौंप दिया गया है. ऐसे में यह ड्राफ्ट चर्चा का विषय बन गया है. इस ड्राफ्ट के हर पहलू के बारे में लोग जानना चाहते हैं. सरकार को मिले इस ड्राफ्ट की कई चीजें ऐसी हैं, जो लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है.

 

दरअसल, इस ड्राफ्ट के कवर पेज पर जो तस्वीर दिख रही है, उसमें न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. ऐसे में यह तस्वीर खूब चर्चा में है. इस तस्वीर के चर्चा के बीच होने को लेकर कहा जा सकता है कि कमेटी के लोगों का यह मानना होगा कि सभी को समान अधिकार सुनिश्चित हों और यह इस ड्राफ्ट के माध्यम से संभव है.

न्याय की देवी की खुली आंखें शायद इस बात को प्रदर्शित कर रही हैं कि वह समाज को समान तरीके से देख सकें. जिसमें किसी तरह की ऊंच-नीच, जात-पात से अलग केवल समानता मूलक समाज ही नजर आए. हालांकि, इसको इंगित करते इस ड्राफ्ट की कॉपी के ऊपर मोटे अक्षरों में लिखा हुआ है ‘समानता द्वारा समरसता.’ इसका मतलब है कि ड्राफ्ट की तस्वीरें भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रही हैं और यही इसका उद्देश्य भी हो सकता है. जिसे तस्वीर के जरिए दिखाने की कोशिश की गई है. इस ड्राफ्ट को समान नागरिक संहिता उत्तराखंड- 2024 नाम दिया गया है.
इस पूरे ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए कमेटी की तरफ से ढेर सारे सुझाव मांगे गए थे. जिसको लेकर बताया गया कि कमेटी को सबसे ज्यादा सुझाव जनसंख्या नियंत्रण को लेकर आए. समान नागरिक संहिता उत्तराखंड-2024 का ड्राफ्ट आने के बाद से ही भाजपा शासित कई राज्यों में इसी तरह के कानून बनाने को लेकर भी तैयारी तेज हो गई है. इस ड्राफ्ट में कई सारी चीजें हैं, जो बेहद चौंकाने वाली हैं और ड्राफ्ट के जारी होने के साथ ही चर्चा का विषय बन गई हैं.

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इस ड्राफ्ट को लेकर जो सबसे विशेष बात है, वह यह है कि ड्राफ्ट के हिंदी वर्जन में किसी भी अन्य भाषा जैसे की उर्दू के शब्दों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया गया है. मतलब इस ड्राफ्ट को पूरी तरह से हिंदी में तैयार किया गया है. भारत के किसी भी कानूनी ड्राफ्ट में यह पहला ड्राफ्ट है, जिसको पूरी तरह से हिंदी में ही लिखा गया है और इसमें किसी अन्य भाषा के शब्दों का प्रयोग नहीं हुआ है.
राजकीय भाषा के रूप में संविधान में वर्णित हिंदी में पूरी तरह से किसी कानूनी ड्राफ्ट को तैयार करने का काम उत्तराखंड से किया गया है. यानी देश में हिंदी को लेकर इस तरह की एक नई शुरुआत हुई है.