नई दिल्ली। देश में बिजली क्षेत्र से जुड़ी 34 बिजली कंपनियों पर बैंकों का 1.5 लाख करोड़ रुपए कर्ज बकाया है। अगर ये कंपनियां उत्पादन बंद कर देती हैं तो इससे देश में बिजली की बड़ी किल्लत हो जाएगी।
कई कंपनियां देश के बिजली उत्पादन में योगदान करती हैं। इनमें जिंदल, जेपी पॉवर वेंचर, प्रयागराज पॉवर, झाबुआ पॉवर, केएसके महानंदी, कोस्टल एर्नजन समेत 34 बिजली कंपनियां शामिल हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कर्ज में डूबीं 34 बिजली क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को 180 दिन का समय दिया था। वह 27 अगस्त 2018 को खत्म हो गया है। अब सिर्फ 15 दिन शेष हैं। इस मियाद में कर्ज में डूबीं कंपनियों को अपना लोन अकाउंट क्लीयर करना है या समाधान उपलब्ध कराना है।
संसद की सबकमेटी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि देश में 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन पर संकट है क्योंकि इन बिजली कंपनियों से या तो कोई बिजली खरीद नहीं रहा या इन्हें उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल रहा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे देश में 50 हजार मेगावाट बिजली की कमी हो सकती है।
ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में वित्त वर्ष 2017 में 17,183 मेगावाट बिजली की मांग थी जबकि सप्लाई की गई 15,501 मेगावाट बिजली सप्लाई की गई। अगर 50 हजार मेगावाट बिजली की शॉर्टेज होती है तो इससे यूपी के बराबर बिजली की मांग वाले 3 राज्य अंधेरे में डूब जाएंगे।