नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के आज घोषित हुए परिणामों ने कांग्रेस बहुत पीछे कर दिया है। महाराष्ट्र और झारखंड में सरकार के साझीदार बनने के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस में जोश आ गया था लेकिन दिल्ली ने एक बार फिर कांग्रेश की उम्मीदों पर जबरदस्त पानी फेर दिया है। यहां हम आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को देखकर कभी लगा नहीं कि वह सत्ता के लिए संघर्ष कर रही है।
पिछले चुनाव की तुलना में बीजेपी का प्रदर्शन थोड़ा तो सुधरा है, लेकिन वह अभी भी 15 सीटें हासिल करती हुई ही दिख रही है रुझानों में सबसे बड़ा झटका कांग्रेस पार्टी को लगा है क्योंकि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पार्टी का दिल्ली में खाता नहीं खुलने जा रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी 2020 के चुनाव में 6 फीसदी वोट भी हासिल करती हुई भी नहीं दिख रही है।
दिल्ली में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी भारी गिरावट हुई
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी सीट पर खाता नहीं खुला है। वर्ष 2015 में भी कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। लेकिन जब उसका वोट प्रतिशत इससे बेहतर था। इस बार उसके वोट पर प्रतिशत में भी जबरदस्त गिरावट हुई है। दोपहर दाे बजे तक सामने आए रुझानों में कांग्रेस को सिर्फ 4.5 फीसदी वोट ही मिला है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दिल्ली में 22 फीसदी वोट मिले थे और वह बीजेपी के बाद राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। लेकिन 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में राज करने वाली पार्टी 2015 की तुलना में 5 फीसदी वोट कम पाती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस को 2015 में 9.5 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2013 में कांग्रेस करीब 25 फीसदी वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही थी।
कांग्रेस के कई उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बच पाई
दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस के कई उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बच पाई है। कांग्रेस के तमाम बड़े चेहरे जमानत बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अरविंदर सिंह लवली, हारून यूसुफ, मतीन अहमद खान, अलका लांबा, राजेश लिलोठिया, अशोक वालिया सभी बड़े चेहरे तीसरे नंबर पर चल रहे है। सिर्फ बादली सीट ऐसी है जहां पर कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र यादव दूसरे नंबर पर हैं।
इस सीट के अलावा बाकी किसी भी सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर नहीं है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुभाष गुप्ता की बेटी शालिनी गुप्ता कालकाजी सीट से तीसरे नंबर पर चल रही है। रुझानों से साफ हो चुका है कि कालकाजी सीट पर शालिनी गुप्ता अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी। सबसे आश्चर्य की बात है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस का प्रचार बेहद धीमा रहा।