नई दिल्ली। दस माह के लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार भारत-नेपाल सीमा खोल दी गई। अंतर्राष्ट्रीय बार्डर गौरीफंटा के बैरियर उठा दिए गए। फिलहाल सिर्फ पैदल वालों को सीमा पार करने की इजाजत मिल रही है। वाहनों के लिए आदेश का इंतजार हो रहा है।
देश में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद भारत नेपाल के गौरीफंटा बॉर्डर को मार्च माह में बंद कर दिया गया था। करीब दस माह से बॉर्डर बंद था। इस बीच गौरीफंटा बॉर्डर पर नेपाली नागरिकों को भारतीय सुरक्षाकर्मी तो एंट्री दे रहे थे लेकिन नेपाल प्रशासन भारतीयों को बॉर्डर क्रॉस करने नहीं दे रहा था।
शुक्रवार को नेपाल सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक में बॉर्डर को खोले जाने से संबंधित निर्देश पारित कर दिया गया। बॉर्डर खोले जाने की सूचना से भारत नेपाल बॉर्डर पर व्यापार कर रहे व्यापारियों में खुशी की लहर है।
शुक्रवार को नेपाल प्रशासन के पास शासन से बॉर्डर खोले जाने से संबंधित लिखित आदेश ना आने के चलते नेपाल के लिए भारतीय नागरिकों को पैदल जाने की तो इजाजत दी गई लेकिन वाहनों पर पूरी तरह रोक नजर आई। एसएसबी कमांडेंट मुन्ना सिंह ने बताया कि नेपाल की सहमति के बाद सीमा खोली गई है। अभी अन्य निर्देश आने बाकी हैं।
खोल दिया गया गौरीफंटा बॉर्डर, वाहनों के आवागमन पर रोक बरकरार
दस माह बाद ही सही, पर उम्मीद लौट आई है। सीमा पर अब रौनक हो सकेगी। दस महीनों से बेरोजगारों की जिंदगी जी रहे व्यापारियों की आमदनी शुरू हो सकेगी। इसी के साथ पर्यटन की बहाली की उम्मीद भी बढ़ गई है। अधिकारी आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि नेपाल शासन द्वारा जारी निर्देश से संबंधित लिखित आदेश नेपाल प्रशासन के पास शुक्रवार की देर शाम तक न पहुंचने के चलते गौरीफंटा बॉर्डर से नेपाल सीमा के लिए पैदल जाने वाले भारतीयों को तो प्रवेश दिया गया लेकिन वाहनों पर पाबंदी लगी नजर आई।
नेपाल ने इन बार्डरों को खोले जाने पर लगाई मोहर
गौरीफंटा (कैलाली) पशुपति नगर, काकड़ भिट्टा, रानी, माडर, गौर, वीरगंज, रसुवागढ़ी, कृष्णा नगर, बेलहिया, जमुनाह, गड्ढा चौकी, खलंगा सहित करीब 30 बार्डर शामिल हैं।